हमारी सच्ची संतानें 


हमारी सच्ची संतानें 


 


सलामत रहें, हमारे चार बेटे  


दो हाथ, दो पैर। 


करेंगे एक दूजे की सेवा मिलकर। 


क्यों किसी की राह तको.......? 


जी लो खिलखिलाकर खिलकर।। 


 


आनंद मिश्र 'अकेला', सागर (म0प्र0) भारत