हिंदी वर्तनी का मानकीकरण
भारत के संविधान में हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। साथ ही कुछ अन्य राज्य सरकारों ने भी हिन्दी को अपने राज्य की भाषा के रूप में मान्यता दी है। राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने पर हिन्दी में लिपि, वर्तनी और अंकों का स्वरूप आदि विषयों में एकरूपता लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने विविध स्तरों पर प्रयास किया। वर्णमाला के साथ ही हिन्दी वर्तनी की विविधता की ओर भी सरकार ने ध्यान दिया। शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न भाषाविदों के सहयोग से हिन्दी वर्तनी की विविध समस्याओं पर गम्भीर रूप से विचार-विमर्श करने के बाद अपनी संस्तुतियाँ सन् 1967 में 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' नामक एक पुस्तिका प्रकाशित की जिसकी काफी सराहना हुई।