जब हो मेरे पंजाब आना
जब धर्म रक्षा पर कभी हृदय बोल उठे l
तब एक बार पंजाब धरा पर अवश्य जाना l
जहां वंश दानी हुए गोविंद प्यारे, खालसा l
थोड़ा सिखों के इतिहास के पन्ने भी पढ़ आना l
हिंदू उतारण पिता उबारे शीश कियो कुर्बान l
ऐसी सिखी को जाने जहां उबार दिए थे प्राण l
आनंदपुर साहिब उबारयो नग की राखि आन l
गौ मां की सौगंध पर छोड़ा सुख संगत जहान l
विद्यासागर में जाकर भारतीय संस्कार पढ़ आना l
घर-घर बताने देह बलिदानी की कथा गढ जाना l
जाना फिर चमकौर साहिब जहां वीर सिंघों के वार l
धर्म हित रण भेज दिए वीर अजीत वीर जुझार l
एक एक सिंघ रण जुझ लड़े संग सवा लाख लड़ाए l
धर्म धरा की रक्षा में वंश दानी गोविंद गुरु पठाए l
त्याग दिया पुत्र मोह धर्म उबारण जानो l
जब आना हो पंजाब कभी सिख की सीखी पहचानो l
माता गुजरी बैठी ठंडे बुर्ज कभी फतेहगढ़ जाना l
छोटे-छोटे बाल आँचल में सोए उनको जाकर जगाना l
मन के बाल जब जागे तब भाव धर्म के भर ले आना l
घर घर बताने बाल शहीदी बालवीरों की कथा सुनना l
छोटे छोटे लाल खलोए देश धर्म की राखी शान l
जोरावर फतेह रणबीर हुए सिखा गए धर्म की आन l
बैेरी सिर चढ़ बोल रहा था ले यम का रूप विकार l
बालवीर की शहीदी हुई ऐेसे थे गुरु प्यारे दातार l
धन-धन गोविंद तेरी सिखी सीख लिए जग जान l
पिता उबारे दीन हिंदू बचावण राखी हिंद की आन l
आनंदपुर उबारयो नग के सीस चमकोर उरबारयो दाहिने हाथ l
फतेहगढ़ उबारयो माता गुजरी पुत्र उबारे जोरावर फतेह साथ l
जब धर्म रक्षा पर कभी हृदय बोल उठे l
तब एक बार पंजाब धरा पर अवश्य जाना l
जहां वंश दानी हुए गोविंद प्यारे, खालसा l
थोड़ा सिखों के इतिहास के पन्ने भी पढ़ आना l
हिन्दी जुड़वाँ*, नई दिल्ली, भारत
*हेतराम भार्गव & हरिराम भार्गव