कलम
इस कलम ने बहुत साथ दिया
जिंदगी जीने का नया राज बता दिया।
चलते रहे उसको लेकर साथ हम
आज उसी से मिला है कविताओं को नया दम।
हर कविता बनाने में, उसने मेरा साथ दिया।
गर वो ना होती, तो कविता की रचना कवि कैसे करता।
हर रंग-रूप में मुझे तेरा साथ मिला
जिंदगी जीने का नया राज मिला।
तेरे साथ ही, हर पल को कविता के रूप में लिखती रही।
तेरे बिना कुछ न थी, इसलिए तुझे
अपना मेहरबा, साथी ही समझती रही।
शुक्रिया करती हूं तेरा
तू न कभी साथ छोड़ना।
मैं तुझे चलाती रहूंगी
तुम मेरे साथ चलती रहना,
तुम मेरे साथ चलती रहना...।
पूनम सुराणा, जालना, महाराष्ट्र