करना चाहते हम
शब्द स्वर वरदान दो गुणगान करना चाहते हम।
मातु! महिमा का तुम्हारे मान करना चाहते हम।।
हम अकिंचन और खाली झोलियाँ हैं पास केवल।
हाथ रख दो माथ पर अभिमान करना चाहते हम।।
हैं हृदय में भाव कच्चे स्वार्थ मद मत्सर भरे बस।
नाम का आधार ले प्रस्थान करना चाहते हम।।
रज तिलक माथे लगाकर जी सकेंगे शान्ति पूर्वक।
व्यर्थ में बीता समय सब दान करना चाहते हम।।
है अवध के वास्ते बस एक तेरा ही सहारा।
इस सहारे को पकड़ अभियान करना चाहते हम।।
डॉ अवधेश कुमार अवध, मेघालय