किन्तु हमारे लब हैं मौन

 



किन्तु हमारे लब हैं मौन


 


आँखों से हम प्यार जताते,
किन्तु  हमारे लब हैं मौन।
लोग पूछते परिचय उसका
कैसे  कह  दूँ, है  वो  कौन?


मेरे  अधकच्चे  मानस  पर,
उसकी  ही तस्वीर छपी है।
रोम रोम उससे ही पुलकित,
युगल - बंध जंजीर रखी है।।
प्रेम पंथ पर प्रथम कदम है,
आध - अधूरा  अथवा पौन।
लोग पूछते परिचय उसका,
कैसे  कह  दूँ, है  वो  कौन?


आती - जाती हर साँसों में,
उसका ही अहसास पला है।
उसे भूलकर पल भर जीना,
लगता जीवन बड़ी बला है।।
घरवाले  सब  साथ खड़े पर,
उसके  बिना  काटता भौन।
लोग पूछते परिचय उसका,
कैसे  कह  दूँ, है   वो कौन?


जग  वालों ने प्रेम न जाना,
प्रणय खेल ही केवल माना।
प्रेम पथिक की राह रोकना,
बस कठोर हिरदय में ठाना।।
प्रेम पुण्य है पारिजात सम,
समझो नहीं इसे रति-यौन।
लोग पूछते परिचय उसका,
कैसे  कह दूँ,  है  वो  कौन?


 


डॉ अवधेश कुमार अवध, मेघालय