कुछ ज्ञान लिया न ध्यान किया
(हरियाणी/बांगरू बोली)
कुछ ज्ञान लिया न ध्यान किया, पढ़ ली रामायण सौ बार।
मरा तिसाया समझ न पाया, इब तहीं रामकथा का सार।।
कोनसे मास जन्म राम का, तूँ तिथी बार नक्षत्र बता।
कोण ननद थी सीता जी की, उस का भेद मनै दिये बता।
कोण था मामा रामचन्द्र का, दे कोशल्या का ब्याह बता।
कितनी आयु रही राम की, जिब मरी ताड़खा दिये बता।
वा कद ब्याही थी सीता जी, उसकी देणा उमर बता।
धनुष तोड़ कें सीता ब्याही, था लग्न कोण सा दिये बता।
बरस कोण सा चढ़ा राम को, होये बण जाने को त्यार,,,,,1
प्राणी तीन बरस कितने तक, उस चित्रकूट मैं मनै बता।
कोण श्राप मिल्या राजा को, मरण दशरथ का होया बता।
किस मिहने मैं सीता ठाई, मनै तिथि कोण सी दिये बता।
कितने मास तक पहाड़ों की, थे खाक छानते राम बता।
कोण से मास हनुमान मिले, फिर बाली मारे दिये बता।
कितने दिन पर्बत पै ठहरे, तूँ उस पर्बत का नाम बता।
फिर किस दिन लाँघ समुंदर को, लंका पोंहचे शिव अवतार,,,,,2
किस दिन हनुमत बाग उजाड़ा, किस दिन अक्षय को संहारा।
किस दिन लंका उठी थी लूक, किस दिन लांघा पाणी खारा।
कितने दिन रस्ते मैं बीते, किस दिन हाल सुणाया सारा।
कितनी सेना जुड़ी राम की, कोण से दिन दल चाल्य पड़ा।
कितने दिन रस्ते मैं गुजरे, कद कटक किनारे आण पड़ा।
थी तिथी कोणसी दिये बता, वो चरण विभीषण आण पड़ा।
फिर बिनति कर कें राम छिक्या, समुंदर किस दिनमानै हार,,,,3
कोण से दिन सेतु बन्ध शुरू, कोण से दिन सेतु त्यार किया।
कितना पुल बंध्या रोज बता, फिर किसनै वो तैयार किया।
पुल बाँधण का काम राम नै, फिर कितणे दिन मैं त्यार किया।
कितणे दिन मैं रामचन्द्र नै, फिर अपणे दल को पार किया।
किस दिन जा कें लंका घेरी, जा ताकत का परचार किया।
किस दिन अंगद दूत बणे थे, उस रावण को लाचार किया।
रोप दिया पग सभा बीच मैं, कटक था लंका का लाचार,,,,,4
डॉ॰ विश्व बंधु शर्मा, रोहतक, हरियाणा (भारत)