मानक हिन्दी का स्वरूप
हिन्दी की आधुनिक मानक शैली का विकास हिन्दी भाषा की एक बोली, जिसका नाम खड़ीबोली है के आधार पर हुआ है। हिन्दी मानक भाषा है, जबकि खड़ीबोली उसकी आधारभूत भाषा का वह क्षेत्रीय रूप है जो दिल्ली, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर आदि में बोला जाता है। खड़ीबोली क्षेत्र में रहने वाले प्रायः प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति द्वारा जो कुछ बोला जाता है वह खड़ीबोली है किन्तु जैसे ब्रज, बुन्देली, निमाड़ी अथवा मारवाड़ी क्षेत्रो में हिन्दी की शिक्षा प्राप्त व्यक्ति परस्पर सम्भाषण अथवा औपचारिक अवसरों पर मानक हिन्दी बोलते हैं वैसे ही खड़ीबोली क्षेत्र के व्यक्ति भी औपचारिक अवसरों पर मानक हिन्दी का प्रयोग करते हैं। हम इसको इस तरह समझें- मैथिलीशरण गुप्त चिरगाँव के थे। वे घर में बुन्देलखण्डी बोलते थे। हजारीप्रसाद द्विवेदी बलिया के थे, वे घर में भोजपुरी बोलते थे किन्तु ये सभी व्यक्ति जब साहित्य लिखते हैं तो मानक हिन्दी का व्यवहार करते हैं। व्यवहार औपचारिक स्तर पर मानक भाषा में सर्वत्र होगा।
हिन्दी का सही रूप जो सर्वत्र एक-सा है, सर्वमान्य है, व्याकरणसम्मत है और सम्भ्रांत है, मानक हिन्दी का वाक्य है। संक्षेप में मानक भाषा अपनी भाषा का एक विशिष्ट प्रकार्यात्मक स्तर है।