मानक हिन्दी के प्रकार
हिन्दी के अनेक रूप हैं और अनेक अर्थ हैं। हिन्दी के सारे रूपों को हम सुविधा के लिए दो वर्गों में बाँट सकत हैं
1. क्षेत्रीय बोलियाँ
2. सामान्य हिन्दी
हिन्दी की क्षेत्रीय बोलियाँ छोटे-छोटे क्षेत्रों या छोटे-छोटे समुदायों के बीच ही प्रचलित हैंसामान्य हिन्दी इन सब रूपों का महत्तम समापवर्तक रूप है। यदि बोलीगत सारे रूप हिन्दी की परिधि पर हैं तो उनका एक रूप ऐसा भी है जो केन्द्रवर्ती रूप है। वह केन्द्रवर्ती रूप ही मानक हिन्दी का रूप हैविभिन्न बोलियों के क्षेत्रीय अथवा सामुदायिक रूपों का मानक भाषा के रूप में पर्यवसान कई कारणों से होता है। इन कारणों को हम संक्षेप में निम्नानुसार उल्लिखित कर सकते हैं
1. एक-सी शिक्षा का प्रसार
2. साहित्य की वृद्धि और मुद्रित अक्षर की व्यापकता
3. यातायत की सुविधाओं का विस्तार
3. जनसंचार माध्यमों की लोकप्रियता
5. महानगरों का विकास
6. सिनेमा का प्रभाव
7. सरकारी नौकरी में स्थानान्तरण
8. सैनिकों की भर्ती
उपर्युक्त कारणों से धीरे-धीरे ऐसी हिन्दी का निर्माण और प्रचलन हुआ जो हिन्दी के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में समान रूप से समझी जा सकती है और उसका व्यवहार किया जा सकता है।
हमारे देश में औद्योगिकीकरण जिस गति से हो रहा है उससे भी क्षेत्रीय और सामुदायिक बोलियों के स्थान पर एक सामान्य भाषा फैल रही है। हिन्दी की शिक्षा का प्रसार भी इन दिनों बहुत हुआ है। आकाशवाणी और दूरदर्शन के प्रभाव के कारण मानक हिन्दी सामान्य जन तक पहुंच रही है।