मानव जन्म मिलै मुश्किल तैं


मानव जन्म मिलै मुश्किल तैं


(हरियाणी/बांगरू बोली)


 


मानव जन्म मिलै मुश्किल तैं, धर्म कर्म बिन पाता ना।


मिलग्या सै तो भजन करो, भजन करें कुछ जाता ना।।


 


कदे अंडे तैं पैदा होय, तूँ कदे जेर म्ह सना रह।


तूँ उद्भिज होता कदे कदे, जिंदगी भर तूँ खड़ा रह।


स्वेदज बण कें पैदा होता, बालों बीच मैं फसा रह।


बार बार तूँ पैदा होता, माया बीच मैं धसा रह।


अब नर का चोला मिला तुझे, ध्यान उसी का धरता ना,,,,,,,1


 


कीड़ा मकड़ा तीज गिजाई, पैरां तलै दला जागा।


तूँ सुअर बकरा मुर्गा बण, तेल बीच तला जागा।


बण गधा घोड़ा ऊँट खच्चर, बोझे तलै दब्या जागा।


तूँ गेहूँ चणा बाजरा बण, चाकी बीच मल्या जागा।


आदम देह म्ह कर सुकर्म तूँ, पेटा तेरा भरता ना,,,,,,,,,2


 


प्यार प्रीत मैं जीवन खोता, क्यूँ भक्ति भावना त्यागी।


मोह माया मैं फँसा रहा, ना ज्योत ज्ञान की जागी।


झूठ कपट बेईमाने मैं, तूँ के पावै निरभागी।


धन माया म्ह होया बावला, ना विषय वासना त्यागी।


गई जवानी आया बुढ़ापा, राग काम बिन सरता ना,,,,,,,3


 


आशा तृष्णा त्याग अभी तूँ, जम की फाँस टलै तेरी।


संध्या योग क्रिया साधन से, बुद्धि की गति चलै तेरी।


ओम नाम टेरें तैं बन्दे, छल की चूल हिलै तेरी।


मन मन्दिर के डेरे मैं, सत की चाल चलै तेरी।


कह मुंशीराम तूँ सुण बन्धु, काल टलाये टलता ना,,,,,,4


 


विश्व बंधु शर्मा, रोहतक, हरियाणा, भारत