मॉरीशस में हिंदी की सेवा का आधुनिक स्वरूप ई-रिमझिम पत्रिका (वीडियो रूप में)

मॉरीशस में हिंदी की सेवा का आधुनिक स्वरूप ई-रिमझिम पत्रिका (वीडियो रूप में)


 


'प्राज्ञ साहित्य' के प्रकाशक एवं संपादक उमा कांत से बातचीत करते हुए मॉरीशस की प्रतिष्ठित लेखिका डॉ अलका धनपत ने बताया कि आधुनिक दौर में लोगों के जीवन का तरीका बदला है।  विशेषकर आज के युवा वर्ग के पठन-पाठन का तरीका बदला है। आज का युवा वर्ग अधिकांश कार्य तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुए ही करता है। ऐसे में हिंदी उसके लिए रुचि का विषय बनी रहे, वह उसके महत्वपूर्ण समय के लिए बाधक न हो और उसे अपने आप से जोड़े रखे, यह कार्य अन्य भाषाओंं की तरह हिंदी के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। यदि हिंदी भी आज के युवाओं के दृष्टिकोण से कदम से कदम मिलाकर चलती रहेगी, तो आधुनिक युवा वर्ग हिंदी को सहर्ष स्वीकार करेगा। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति की इसी प्रक्रिया में ई-रिमझिम पत्रिका महत्वपूर्ण कड़ी है, जो हिंदी  पाठक को रोचकता प्रदान करती है तथा उसके समय को बचाती है और स्वयं को आधुनिक तकनीक से जोड़ती है।


आज आवश्यकता है कि भारत जैसे महत्वपूर्ण देश में भी हिंदी के नए-नए आधुनिक आयामों को प्रतिष्ठित किया जाए और नव युवा वर्ग को उससे जुड़ा जाए। आधुनिक युवा वर्ग की अपेक्षाओं के अनुरूप हिंदी को अपना नया स्वरूप गढ़ना होगा। हिंदी से जुड़ी परंपराएं रूढ़ियां न बन जाए, इसके लिए आज के विद्वानों को इस दृष्टि से विचार करना चाहिए। इसी विचार के पल्लवन हेतु मॉरीशस में हिंदी की सेवा कर रही लेखिका डॉ अलका धनपत और वहां स्थित महात्मा गांधी संस्थान के प्रयासों को भी देखा जा सकता है।


 'प्राज्ञ साहित्य' का प्रयास है कि समस्त हिंदी विद्वान सन् 2019 की विदाई  एवं सन् 2020 के आगमन के संयुक्त आनंद सत्र में मॉरीशस में हिंदी की सेवा कर रही ई पत्रिका ई-रिमझिम का आनंद लें। इसी उद्देश्य से  मॉरीशस के महात्मा गांधी संस्थान की ई-रिमझिम पत्रिका आपके सम्मुख उपस्थित है-



 


हिंदी को समर्पित समस्त प्रकार की खबरों, कार्यक्रमों तथा मिलने वाले सम्मानों की रिपोर्ट/फोटो/वीडियो हमें pragyasahityahindisamachar@gmail.com अथवा व्हाट्सएप नंबर 09027932065 पर भेजें।


'नि:शुल्क प्राज्ञ कविता प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपनी मौलिक कविताएं हमें pragyasahityahindi@gmail.com अथवा व्हाट्सएप नंबर 09027932065 पर भेजें।


'नि:शुल्क प्राज्ञ लेख प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपने लेख भेजने हेतु 09027932065 पर संपर्क करें।


प्राज्ञ साहित्य की प्रति डाक से प्राप्त करने व वार्षिक सदस्यता प्राप्त करने के लिये 09027932065 पर संपर्क कर हमारा सहयोग करें।


'प्राज्ञ साहित्य' परिवार का हिस्सा बनने के लिए 09027932065 पर संपर्क करें।