नहीं रहे अकहानी आंदोलन के जनक
हिन्दी साहित्य में अकहानी आंदोलन के जनक के रूप में विख्यात एवं कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक के रूप में दुनियाभर में ख्याति प्राप्त डॉ गंगा प्रसाद विमल का श्रीलंका के निजी भ्रमण के दौरान सड़क दुर्घटना में 23 दिसंबर दिन सोमवार को निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे।
जन्म : 3 जुलाई 1939, उत्तरकाशी (उत्तराखंड)
मृत्यु : 23 दिसंबर 2019, श्रीलंका
प्रमुख सेवाएं-
• केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक के रूप मेंं कार्य
• जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज और पंजाब विश्वविद्यालय में अहम जिम्मेदारी
डॉ. गंगा प्रसाद विमल का साहित्यिक अवदान-
कविता संग्रह-
1. बोधि-वृक्ष
2. नो सूनर
3. इतना कुछ
4. सन्नाटे से मुठभेड़
5. मैं वहाँ हूँ
6. अलिखित-अदिखत
7. कुछ तो है
कहानी संग्रह-
1. कोई शुरुआत
2. अतीत में कुछ
3. इधर-उधर
4. बाहर न भीतर
5. खोई हुई थाती
उपन्यास-
1. अपने से अलग
2. कहीं कुछ और
3. मरीचिका
4. मृगांतक
5. मानुसखोर (अंतिम उपन्यास) 2013
नाटक-
आज नहीं कल
आलोचना-
1. प्रेमचंद
2. समकालीन कहानी का रचना विधान
3. आधुनिकता : साहित्य का संदर्भ
अनुवाद-
इतनो किछू, लिव्ज वेयर एंड अदर पोएम्स
संपादन-
1. अभिव्यक्ति
2. गजानन माधव मुक्तिबोध का रचना संसार
3. अज्ञेय का रचना संसार
4. आधुनिक कहानी
5. सर्वहारा के समूह गान
6. नागरी लिपि की वैज्ञानिकता
7. वाक्य विचार (उलत्सिफेरोव)
पुरस्कार और सम्मान -
1. पोयट्री पीपुल पुरस्कार
2. यावरोव सम्मान
3. आर्ट यूनिवर्सिटी, रोम का डिप्लोमा सम्मान
4. नेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ लिटरेचर, सोफ़िया में गोल्ड मेडल
5. बिहार सरकार द्वारा 'दिनकर पुरस्कार'
6. स्काटिश पोयट्री पुरस्कार
7. कल्पान्त पुरस्कार
8. भारतीय भाषा पुरस्कार
9. कुमार आशन पुरस्कार
10. संगीत अकादमी सम्मान
11. डॉ. अम्बेडकर विशिष्ट सेवा सम्मान
12. साहित्यकार सम्मान
13. हिंदी उर्दू सम्मान
14. महाराष्ट्र भारती सम्मान
15. अन्तरराष्ट्रीय सर्वोच्च बल्गारियाई सम्मान
16. महात्मा गांधी सम्मान, उत्तर प्रदेश