अपने घर को लौट आएँ
पलटते पृष्ठों की तरह
बदल जाता हर वर्ष
ट्रेंड बनता जा रहा
इन्जॉय करना सहर्ष
युवाओं का सेलिब्रेशन
घर पर दे रहा दस्तक
न्यू ईयर पार्टी की भव्यता
कर रही ऊँचा मस्तक
स्वर्णिम इतिहास बताता
विश्व गुरू अपना देश
ज्ञान, आविष्कार, उत्साह
देते खुशियों का संदेश
कभी कैलेण्डर से मनती
होली, रक्षाबंधन, दिवाली
अपने पंचांग से छाई रहती
हमारे घर तो खुशहाली
फादर्स, मदर्स, फ्रेण्डशीप डे
कैलेण्डर से जरूर मनता
श्रवण, कृष्ण सुदामा के देश में
विदेशी ट्रेंड नहीं जमता
हैप्पी न्यू ईयर के नाम पर
युवा वर्ग का चहचहाना
उल्टे-सीधे काम का बस
मिल जाता उन्हें बहाना
देश हमारा त्योहारों का
सर्वधर्म समभाव विशेषता
विभिन्न डे सेलिब्रेशन्स की
फिर क्यूँ करें हम चेष्टा
चियर्स, धुंए, म्यूजिक में
धीमा हो गया शंखनाद
अपनेपन के चिन्तन से
गुड़ी पड़वा को करना याद
घर की दाल-रोटी का तो
हमेशा होता अनोखा स्वाद
परिवार के साथ बैठकर
अपनों से करना संवाद
अपनों को भूल, दूसरों को
सोच-समझकर अपनाइये
तेज शोर शराबे से ऊँची
घण्टियों की आवाज चाहिए
हैप्पी न्यू ईयर अब दोस्तों
शुभ नववर्ष में बदल जाए
मूल्यों, संस्कारों के साथ
अपने घर को लौट आएँ
डॉ॰ चित्रा जैन, उज्जैन (म॰प्र॰) भारत