पत्र के प्रकार
जब किसी सन्देश को मौखिक रूप से पहुँचाना संभव न हो तब किसी कागज पर लिखकर भेजा जाता है तो उसे पत्र कहते हैं।
पत्रों के प्रकार-
सामान्यतः पत्रों के निम्न प्रकार किए जा सकते हैं -
1. व्यक्तिगत/पारिवारिक पत्र
2. सरकारी/कार्यालयी-पत्र
3. व्यावसायिक पत्र
4. अन्य पत्र-प्रार्थना-पत्र, आवेदन-पत्र, सार्वजनिक पत्र आदि। पत्र लेखन भी एक कला है।
एक अच्छे पत्र में सरलता, संक्षिप्तता, स्पष्टता, विनम्रता, विचारों में क्रमबद्धता तथा सभी अंगों का समुचित प्रयोग होना चाहिए
व्यक्तिगत पत्र या पारिवारिक-
पत्र परिवार के किसी सदस्य द्वारा अपने से बड़ों को, छोटों को, मित्रों या सम्बन्धियों को व्यक्तिगत सूचनाएँ देने, बधाई देने, निमन्त्रण देने या संवेदना भेजने आदि से सम्बन्धित पत्र व्यक्तिगत या पारिवारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। व्यक्तिगत पत्र कहाँ से लिखा जा रहा है ? किसे लिखा जा रहा है, उसके लिए क्या सम्बोधन या आशीर्वचन होगा ? पत्र का विषय क्या है, पत्र लिखने वाला कौन है ? उसके हस्ताक्षर कहाँ होंगे आदि के बारे में जानकारियाँ प्राप्त करना आवश्यक।
1- पत्र लेखक का पता व तिथि-
व्यक्तिगत पत्र में पत्र लेखक का पता पत्र के दाहिनी ओर सबसे ऊपर लिखा जाता है। जिसमें पत्र लेखक के मकान नम्बर तथा मकान का नाम यदि है तो, साथ ही मोहल्ले व गली का नाम तथा स्थान का नाम लिखा जाता है। स्थान के नीचे जिस दिन पत्र लिखा जाता है
उस दिन की दिनांक का उल्लेख किया जाता है। यथा-
21, 'राम -विलास',
हरिनगर, दिल्ली।
दिनांक : 02 फरवरी, 2001
2- सम्बोधन एवम् अभिवादन-
जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है, उससे पत्र प्रेषक का जो सम्बन्ध है, उसके अनुरूप, बड़ों के लिए आदरसूचक, छोटों के लिए स्नेहसूचक तथा समवयस्कों के लिए आवश्यक सम्बोध न पत्र के बाँयी ओर लिखा जाता है। तत्पश्चात् उसके नीचे योग्यतानुसार अभिवादन या आशीर्वचन शब्दों को प्रयोग किया जाता है। निम्न रूप से स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।
सम्बन्ध सम्बोधन अभिवादन
बड़ों के प्रति पूज्य / पूज्यनीय सादर चरण स्पर्श
श्रद्धेय/आदरणीय सादर प्रणाम
छोटों के प्रति प्रिय अनुज, प्रिय प्रसन्न रहो,
चिरंजीव खुश रहो
शुभाशीष
आशीर्वाद
समान आयु प्रियमित्र नमस्कार,
वालों के प्रति प्रियबंधु सप्रेम नमस्ते
3. स्वनिर्देश एवं हस्ताक्षर-
पत्र के अन्त में दाहिनी ओर सम्बोधन एवं अभिवादन की तरह सम्बन्धानुसार स्वनिर्देश अलग-अलग होता है। जैसे-
सम्बन्ध स्वनिर्देश
बड़ों को लिखे गये पत्रों में आपका आज्ञाकारी,
कृपाकांक्षी
छोटों को लिखे गये पत्रों में तुम्हारा शुभेच्छु/हितैषी
समान आयुवालों को लिखे तुम्हारा अभिन्न मित्र
दिये गये पत्रों में शुभचिन्तक
स्वनिर्देश के नीचे पत्र लेखक को अपना हस्ताक्षर कर उसके नीचे कोष्ठक में नाम लिखना चाहिए।