पूज्य गांधी के प्रति...
अडिग रूप, चिंतनमय स्वरूप,
मूर्ति सा आकार, किन्तु सत्य का आधार
मध्यम वर्ग, किन्तु सर्वोच्च वर्ग
हिंसा को तोड़, अहिंसा पर विश्वास
भाग्य को छोड़, कर्म पर विश्वास
अमल करने का अथक प्रयास
सूर्योदय से सूर्यास्त तक,
सूर्यास्त से सूर्योदय तक,
प्रतिक्षण, प्रतिपल,
केवल सत दृष्टि,
सत विचार, सतकर्म, सतरूप
सत धर्म
(ईश्वर और मनुष्य)
इन्हीं सबका करते-करते पालन
तज दिया प्राण
किन्तु आज भी हमारे
हृदय रूपी सिंहासन में
महापुरुष के रूप में विद्यमान हैं
और हमेशा विद्यमान रहेंगे।
डॉ॰ सुनील कुमार मानस, जूनागढ़, गुजरात