राजभाषा के रूप में हिंदी

राजभाषा के रूप में हिंदी


 


कोई भी भाषा जितने विषयों में प्रयुक्त होती जाती है। उसके उतने ही अलग-अलग रूप भी विकसित होते जाते हैं। हिन्दी के साथ भी यही हुआ है। पहले वह केवल बोलचाल की भाषा थी। तो उसका एक बोलचाल का ही रूप था, फिर वह साहित्यिक भाषा बनी तो उसका एक साहित्यिक रूप भी विकसित हो गया। समाचार-पत्रों में 'पत्रकारिता हिन्दी का रूप उभर कर आया। वैसे ही 'खेलकूद की हिन्दी', 'बाजार की हिन्दी भी सामने आई। स्वतन्त्रता के बाद हिन्दी भारत की राजभाषा घोषित की गई तथा उसका प्रयोग न्यूनाधिक रूप में कार्यालयों में होने लगा तो क्रमशः उसका एक राजभाषा रूप विकसित हो गया।


सामान्यतया 'राजाभाषा भाषा के उस रूप को कहते हैं जो राजकाज में प्रयुक्त होता है। भारत की आजादी के बाद एक राजभाषा आयोग की स्थापना की गई थी। उसी आयोग ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी को भारत की राजभाषा बनायी जाएतदनुसार संविधान में इसे राजभाषा घोषित किया गया था। प्रादेशिक प्रशासन में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड राजभाषा हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैंसाथ ही दिल्ली में भी इसका प्रयोग हो रहा है और केन्द्रीय सरकार भी अपने अनेकानेक कार्यों में इनके प्रयोग को बढ़वा दे रही है।