समय का चक्र

 


समय का चक्र


 


है  समय  का चक्र आना और जाना।
मत समझना तू इसे अपना ठिकाना।।
देखने  वाले  से  क्या छुपना- छुपाना।
है  समय  का चक्र  ...................।।


कर्म कर,बस कर्म करना हाथ अपने।
छोड़ फल की आस,तज बेकार सपने।।
चार दिन की चाँदनी, मौसम सुहाना।
है  समय  का चक्र ....................।।


भाग्य से ही यह मनुज काया मिली है।
मोह, मद  के साथ में  माया मिली है।।
भाग जा, इसमें नहीं फँसना-फँसाना।
है  समय  का चक्र ....................।।


राम को उर में बसाकर कर्म कर ले।
है मनुज, तू मानवोचित धर्म कर ले।।
एक दिन तुझको पड़ेगा सब चुकाना।
है  समय  का चक्र ....................।।


कर्म का लेखा व जोखा साथ ले जा।
जिंदगी भर जो कमाया, आज दे जा।।
चल   नहीं  पाता  वहाँ  कोई बहाना।
है  समय का चक्र ....................।।


 


डॉ अवधेश कुमार अवध, मेघालय