आक्रोश
डॉ. अनिता एस. कर्पूर 'अनु', बेंगलूरु (कर्नाटक) भारत
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बह रही नदियाँ
फैली है हरियाली
सृष्टिकर्ता ने रचाया
मनमोहक सुंदर दृश्य
चारों ओर पहाड़, वृक्ष....
अहा! अद्भुत सौंदर्य
प्रकति के प्रांगण में...
संचरित हो रहा जीवन!!
वनदेवता को पूजते
अनेक धर्म को नकारते,
एक ही मानव जाति
सभ्यता और संस्कृति के रक्षक
दे रहे आज वाणी वेदना को?
पूछ रहे संसार से सवाल,
क्यों किया यह बवाल?
क्यों? क्यों? क्यों?
कर रहे विनाश जंगलों का
बसा है जीवन उसके बीच
हम तो है मानव जाति का बीज
बीज को मिटाने की कोशिश....
क्यों कर रहे हो?
जबरन धर्म के नाम पर
हमारी जनजाति पर अत्याचार?
कहते हो विकासशील देश?
आज हमें न्याय चाहिए
कुचल पैरों तले जनता को
खत्म कर आदिवासी को
यह कैसा विकास?
हम भी तो हैं मानव
इस निठुर दुनिया में
हमें भी तो बनाया ब्रह्मा ने,
मत कर बेदखल हमारी जमीं से
मत उज़ाड हमारी बस्ती को
मत खडे कर कल-कारखानें
मत रख हाशिये में हमें,
मत बना राजमार्ग हमारी जमीं पर,
पुनर्वास के नाम पर मत कर बेघर
हर घर की दीवार कह रही,
अनछुई, अनकहीं, अनदेखी दास्तां,
है साक्ष दीवारें, वृक्ष, जंगल
हुई है बीहड़ की नारी प्रताड़ित
सदियों से हो रहा बुरा दमन
बीहड की स्त्रियाँ कर रहीं बयान
सब समस्या समाब यहाँ
था कभी उन्नत समाज यहाँ
आज हुआ जर्जर वह
कन्या के जन्म पर
मनाया जाता था जश्न कभी
कन्या शुल्क का रिवाज़ हुआ अभी
दहेज प्रथा औ अंधविश्वास से घिरा
हुआ खण्डित प्रदूषित समाज
भ्रूण हत्या आज आम यहाँ भी
आज हुआ हमारा समाज दूषित
नहीं कोई पहचान हमारी
नहीं कोई डर हमें सत्ता से
उखाड़ फेंका है डर को हमने
बुराइयों को नज़र अंदाज़ करके
इंसान की मौत पर
चाहते है विकसित देश?
नहीं मंजूर ऐसा विकास,
जनजीवन का कर सम्मान
मत कर उसका अपमान
बीहड़ के जंगलों की जनता
कर रही बगावत आज
रक्षा करनी है स्वयं की
बचाना है आशियाना
कोशिश नाकाम करेंगे
नहीं हम मोहताज मंच के,
मात्र थोडी जगह
इंसान के दिल में
बिठाना हमें भी साथ में
हम भी है इन्सान
नासमझ समझ लें
विकास के नाम पर
हम रहें अविकसित,
लडेंगे अपने हक के लिए
नहीं है असमर्थ
चुप्पी नहीं है कमज़ोरी
यही है ताकत हमारी
न डर, न मरने का खौफ़
उन्नति की राह पर चलों,
हम भी होंगे साथ तेरे,
बंद मुट्ठी लाखों की
मिलकर करेंगे देश का विकास
अकेले न होगा अरि का सामना
आज हम भी चलेंगे साथ तेरे
तभी संभव होगा उन्नत समाज,
अकेले न चल पाओगे तुम,
एक स्वस्थ देश की परिकल्पना
होगा विकसित संपूर्ण देश।
परिचय-
डॉ. अनिता एस. कर्पर
जन्मतिथि- 12/08/1973
शिक्षा- परास्नातक एवं डॉक्टरेट की उपाधि
व्यवसाय- बेंगलुरु जैन कॉलेज में सह-प्राध्यापिका
रुचि- संगीत एवं नृत्य
सम्मान-
1) डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान
2) महिला साहित्य सृजन सम्मान
3) साहित्य रत्न सम्मान
4) श्रेष्ठ कवयित्री सम्मान
5) आलोक सम्मान
6)साहित्य शिरोमणी सम्मान
7)नवल सखी साहित्य सम्मान
8)इन्डिया बेस्टीज अवार्डसोसल
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
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