जलसंरक्षण (गीत)

जलसंरक्षण



हर्षवर्धन आर्य, दिल्ली, भारत 


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वरुण देव के अमृत घट से बहता जीवन रस प्रतिपल 

अरे सम्हालो धरती पुत्रो नष्ट न हो धरती का जल ॥

 

जल में धरती ,धरती में जल है अद्भुत ताना-बाना 

जल के बिन धरती पर अन्न का उग नहीं सकता इक दाना 

पेड़ धरा की बाहें बन कर बुला रहे होते हैं घन 

उमड़-घुमड़ घन सुख वर्षा से भरते धरती का आँगन 

बहती सरस नेह की धारा एकाकार हुए  जल-थल 

अरे सम्हालो धरती पुत्रो नष्ट न हो धरती का जल ॥

 

जल जीवन का सार धरा पर ,जल सबसे अनमोल रतन 

जल बिन है जग सूना मरुथल ,जल बिन है दुखमय जीवन 

थलचर-नभचर-जलचर  सबका जल ही है जीवन दाता

धरती पर जीवों का जल से पिता-पुत्र का है नाता 

जो जल को दूषित करते हैं , करते मानवता से छल 

अरे सम्हालो धरती पुत्रो नष्ट न हो धरती का जल ॥

 

चाँद-सितारों पर पानी को मानव आज रहा है खोज 

पर धरती के अमृत -घट को दूषित करता है हर रोज 

भौतिक सुख में लिप्त,  रसायन बहा  रहा है नदियों में 

मिनटों में विषमय करता जो अमृत बनता सदियों में 

आज सुधारोगे ग़र खुद को तभी सुधर पायेगा कल 

अरे सम्हालो धरती पुत्रो नष्ट न हो धरती का जल ॥

कवि परिचय-


हर्षवर्धन आर्य 

( कवि , चित्रकार , स्वर्णशिल्पी )

* अध्यक्ष - सृजन सेतु :आर्यवर्त शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक न्यास ( पंजी.)

* पूर्व पीठाध्यक्ष : कला एवं संस्कृति, रोटरी मण्डल 3012

* पूर्व अध्यक्ष : रोटरी क्लब , दिल्ली अपटाउन 

* संपादक : समवेत स्वर  (साप्ताहिक रोटरी समाचार पत्र )

* दिन के उजाले में ( कविता संग्रह )

* सपनों में चिड़िया ( कविता संग्रह )

* राजू का रोबोट ( बाल कविताएँ  )

* सच्चे मोती   ( बाल कविताएँ  )

* भारत, हंगरी, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली, ताशकन्द, मॉस्को, मॉरीशस में चित्र कलाकृतियाँ प्रदर्शित । 

* साहित्य अकादेमी, हिन्दी अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद, विश्व हिन्दी साहित्य परिषद,    आकाशवाणी, दूरदर्शन सहित अनेक देशों में आयोजित हिन्दी आयोजनों में काव्य पाठ । 

* 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन -मॉरीशस में '' विश्व, हिन्दी और भारत '' विषयक  वृहद चित्रकृति का निर्माण।* साहित्य अकादेमी, संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार से '' कला और कविता : परस्पर संवाद '' विषयक       कनिष्ठ अध्येयतावृत्ति प्राप्त। 

उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना। 

 

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