हिंदी उपन्यास के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर कृष्ण बलदेव वैद नहीं रहे
एक नौकरानी की डायरी जैसे महत्वपूर्ण उपन्यास व बदचलन बीवियों का द्वीप जैसी कहानी लिखने वाले कृष्ण बलदेव वैद का गुरुवार, 6 फरवरी 2020 को निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। उन्होंने उपन्यास लेखन में विशेष ख्याति प्राप्त की।
कृष्ण बलदेव वैद का व्यक्तित्व
इनका जन्म डिंगा, पंजाब के पाकिस्तान में 27 जुलाई 1927 को हुआ। इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में में एम.ए. किया और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की। यह 1950 से 1966 के बीचहंसराज कॉलेज दिल्ली और पंजाब विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी साहित्य के अध्यापक रहे। इन्होंने 1966 से 1985 के मध्य न्यूयॉर्क स्टेट युनिवर्सिटी, अमेरिका और 1968-69 में ब्रेंडाइज यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी और अमरीकी-साहित्य का अध्यापन किया। 1985 से 1988 के मध्य यह भारत भवन, भोपाल में 'निराला सृजनपीठ' के अध्यक्ष रहे। दक्षिण दिल्ली के 'वसंत कुंज' के निवासी वैद लम्बे अरसे से अमरीका में दो विवाहित बेटियों के साथ रह रहे थे। उनकी लेखिका पत्नी चंपा वैद का कुछ बरस पहले ही निधन हुआ था।
कृष्ण बलदेव वैद का साहित्यिक अवदान
उपन्यास
- उसका बचपन
- बिमल उर्फ जाएँ तो जाएँ कहाँ
- नसरीन
- दूसरा न कोई
- दर्द ला दवा
- गुज़रा हुआ ज़माना
- काला कोलाज
- नर-नारी
- मायालोक
- एक नौकरानी की डायरी
कहानी संग्रह
- बीच का दरवाज़ा
- मेरा दुश्मन
- दूसरे किनारे से
- लापता
- आलाप
- लीला
- वह और मैं
- उसके बयान
- चर्चित कहानियाँ
- पिता की परछाइयाँ
- बदचलन बीवियों का द्वीप
- खाली किताब का जादू
- रात की सैर (दो खण्डों में)
- बोधित्सव की बीवी
- खामोशी
- प्रतिनिधि कहानियां
- मेरी प्रिय कहानियां
- दस प्रतिनिधि कहानियां
- शाम हर रंग में
- प्रवास-गंगा
- अंत का उजाला
- सम्पूर्ण कहानियां
नाटक
- भूख आग है
- हमारी बुढ़िया
- सवाल और स्वप्न
- परिवार-अखाड़ा
- कहते हैं जिसको प्यार
- मोनालिज़ा की मुस्कान
निबंध
- शिकस्त की आवाज़
संचयन
- संशय के साए
हिन्दी में अनुवाद
- गॉडो के इन्तज़ार में (बेकिट)
- आखिरी खेल (बेकिट)
- फ्रेडा (रासीन)
- एलिस: अजूबों की दुनिया में (लुई कैरल)
डायरी
- ख्याब है दीवाने का
- जब आँख खुल गयी
- डुबाया मुझ को होने ने
पुरस्कार और सम्मान
- छत्तीसगढ़ राज्य का पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान
- हिंदी अकादमी दिल्ली का शलाका सम्मान