पद्मश्री से सम्मानित हिंदी साहित्यकार गिरिराज किशोर नहीं रहे
पदम श्री सम्मान से सम्मानित हिंदी साहित्यकार गिरिराज किशोर का कानपुर में दिन रविवार 9 फरवरी 2020 को निधन हो गया वे 82 वर्ष के थे। गिरिराज किशोर ने महात्मा गांधी को लेकर भारत मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका के संदर्भ में नए आयाम स्थापित किए थे। उनका उपन्यास पहला गिरमिटिया इस दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। हिंदी के इस सपूत के देहांत की खबर सुनकर भारत के अतिरिक्त मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका के हिंदी साहित्यकारों सहित समूचे विश्व हिंदी जगत में शोक की लहर है।
गिरिराज किशोर का व्यक्तित्व
गिरिराज जी का जन्म 8 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ, इनके पिता ज़मींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया।
शिक्षा : मास्टर ऑफ सोशल वर्क 1960, समाज विज्ञान संस्थान, आगरा
अनुभव : 1960 से 1964 तक सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी, उ.प्र. सरकार
1964 से 1966 तक इलाहाबाद में स्वतन्त्र लेखन
जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत।
दिसं.1975 से 1983 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में कुलसचिव।
1983 से 1997 तक वहीं पर रचनात्मक लेखन केन्द्र के अध्यक्ष। 1 जुलाई 1997 अवकाश ग्रहण। रचनात्मक लेखन केन्द्र उनके द्वारा ही स्थापित।
गिरिराज किशोर का साहित्यिक अवदान
कहानी संग्रह
नीम के फूल
चार मोती बेआब
पेपरवेट
रिश्ता और अन्य कहानियां
शहर -दर -शहर
हम प्यार कर लें
जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां
वल्द रोजी
यह देह किसकी है?
कहानियां पांच खण्डों में
'मेरी राजनीतिक कहानियां'
हमारे मालिक सबके मालिक
उपन्यास
पहला गिरमिटिया (गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास)
लोग
चिडियाघर
दो
इंद्र सुनें
दावेदार
तीसरी सत्ता
यथा प्रस्तावित
परिशिष्ट
असलाह
अंर्तध्वंस
ढाई घर
यातनाघर
आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में
नाटक
नरमेध
प्रजा ही रहने दो
चेहरे - चेहरे किसके चेहरे
केवल मेरा नाम लो
जुर्म आयद
काठ की तोप
मोहन का दु:ख (एक लघुनाटक)
लेख/निबन्ध
संवादसेतु
लिखने का तर्क
सरोकार
कथ-अकथ
समपर्णी
एक जनभाषा की त्रासदी
जन-जन सनसत्ता
सम्मान
- उ.प्र.हिंदी संस्थान द्वारा चेहरे - चेहरे किसके चेहरे नाटक पर भारतेन्दु सम्मान
- परिशिष्ट उपन्यास पर म.प्र. साहित्य कला परिषद का बीर सिंह देवजू सम्मान
- ढाई घर उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार
- उ.प्र.हिंदी संस्थान का साहित्यभूषण
- भारतीय भाषा परिषद का शतदल सम्मान
- पहला गिरमिटिया उपन्यास पर के.के. बिरला फाउण्डेशन द्वारा व्यास सम्मान
- उ.प्र.हिंदी संस्थान का महात्मा गाँधी सम्मान
- उ.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी सेवा के लिए प्रो॰बासुदेव सिंह स्वर्ण पदक
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित सत्याग्रह शताब्दी विश्व सम्मेलन में सम्मानित।
- 2007 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदम श्री से सम्मानित किया गया।