जोगीरा (होली के अवसर पर हिंदी को समर्पित)

होली के अवसर पर हिंदी को समर्पित जोगीरा


जोगीरा सा रा रा रा 


हिंदी के नामी भीष्मों की, हालत देखो आज।
अंग्रेजी करती चीरहरण, पर उन्हें न आती लाज।।
जोगीरा सा रा रा रा रा।


हिंदी के चाहने वाले चाचा, ज्ञानपीठ ले मुस्काए।
अब कुछ नहीं लेना देना, हिंदी भाड़ में जाए।
जोगीरा सा रा रा रा रा।


पढ़े और पढ़ाया अंग्रेजी में, पर लेखन हिंदी में कर बैठे।
किन्तु पद्म श्री  न मिलने पर, वे अब डोलें ऐंठे-ऐंठे।।
जोगीरा सा रा रा रा रा।


(54वें ज्ञानपीठ पुरस्कार को समर्पित👇)


ज्ञान और पीठ दोनों हिंदी के, पर उसकी निराली रीत।
पुरस्कार के चक्कर में, कर दी अंग्रेजी की जीत।।
जोगीरा सा रा रा रा रा।


ज्ञानपीठ पर अनुसूची की, भाषा पड़ गयीं कम।
गुलामी सोच के चलते, फिर अंग्रेजी ने मारा दम।
जोगीरा सा रा रा रा रा।


 उमा कांत 
 प्रकाशक व संपादक 
'प्राज्ञ साहित्य' 
(अंतरराष्ट्रीय संदर्भित त्रैमासिक हिंदी पत्र)


                                                       


आपको और आपके परिवार को 'प्राज्ञ साहित्य' परिवार की ओर से होली के पावन पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएँ। ईश्वर आपके जीवन में सदैव खुशियों के रंग भरता रहे। आप निरंतर हिंदी की सेवा में लगे रहें। इन्हीं कामनाओं के साथ 
आपका अपना


मा कां 


प्रकाशक व संपादक 
'प्राज्ञ साहित्य' 
(अंतरराष्ट्रीय संदर्भित त्रैमासिक हिंदी पत्र)