न मैं कुछ पुण्य करता हूँ (कविता)

न मैं कुछ पुण्य करता हूँ



डॉ सुनील कुमार मानस, जूनागढ़ (गुजरात) भारत 


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न मैं कुछ पुण्य करता हूँ न मैं कुछ पाप करता हूँ।
कराता है जो वो मुझसे वहीं मैं काम करता हूँ।।


वो कहता है कि तू ही है, मैं कहता हूं कि वो ही है।
उसी की मर्जी चलती है उसी का नाम करता हूँ।।


समझदारी है जिनमें भी उन्हीं के साथ रहता हूँ।
ईमानदारी की रोटी है, जिसे खा करके पलता हूँ।।


अगर फिर भी कोई पूंछे बता तेरा इरादा क्या?
हंसा करके मैं उसको भी सदा इकरार करता हूँ।।


है भूतल का ये असली ही तेरा आनंदमय जीवन।
उसी के रंग ढलता हूँ, उसी के संग चलता हूँ।।


 


कवि परिचय-


डॉ सुनील कुमार मानस
शिक्षा- परास्नातक, जे0आर0एफ0नेट एवं पीएच0डी0
व्यवसाय- सहायक आचार्य, बहाउद्दीन आर्ट्स कॉलेज, जूनागढ़ (गुजरात) 
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व आलोचन दृष्टि पत्र का संपादन


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