ओ.....माँ......
मीनाकुमारी शुक्ल 'मीनू', राजकोट (गुजरात) भारत
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ओ.....माँ......
तू बन जा आज बिट़िया, मैं माँ तेरी बन जाऊंगी।
रूठना सुन तू बात - बात पर, मैं तुझे मनाऊंगी॥
दौड़ जाना तू हाथ न आना, पीछे मैं आऊंगी।
गोद में उठा तुझको मैं, ले प्यार से नहलाऊंगी॥
वस्त्र पसंद पर मचलना, खोल सभी मैं दिखाऊंगी।
बिखेरना सारे कपड़े, अलमारी मैं जमाऊंगी॥
शुद्ध संतुलित स्वादिष्ट भोजन, मैया मैं बनाऊंगी।
नखरे करना मुंह बिचकना, मैं तुझे बहलाऊंगी॥
खेल - खेल में तू छिप जाना, ढूंढने मैं आऊँगी।
चाँद माँगना भोलेपन से, किस्से मैं सुनाऊंगी॥
सोना तू गोदी में मेरी, लोरी मैं सुनाऊँगी।
मीठे सपने में खोना तू, परी मैं दिखलाऊंगी॥
नज़ाकत भरी तेरी अदा पर, मैं मधुर मुस्काऊंगी।
जिद भी करना तू मचलना, मैं पुचकाती जाऊंगी॥
शरारत कभी बहुत बढ़ेगी, मैं तुझे झिड़ियाऊंगी।
रोना भर - भर आँसू नयन में, मैं घबरा जाऊंगी॥
रोते देखकर माँ तुझे दुख से मैं भी भर जाऊंगी।
बन कर फिर नन्हीं बच्ची, मैं तुझ से लिपट जाऊंगी॥
परिचय-
मीनाकुमारी शुक्ल 'मीनू'
पिता का नाम- श्री रामेश्वरप्रसाद मिश्रा
जन्मतिथि- 05/11/1966
शिक्षा- परास्नातक
कार्य क्षेत्र - पूर्व शिक्षिका
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
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