अमीरी-गरीबी या कुछ और (लघु कथा) - उमाकांत "प्राज्ञहंस"

अमीरी-गरीबी या कुछ और 



उमाकान्त "प्राज्ञहंस", कासगंज (उ0प्र0) भारत 


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सड़क के किनारे पैदल चलते-चलते प्रदीप ने अपने पिता से कहा- 'हम अपने देश में मजदूरी करने आये थे। हम विदेशों में तो मजदूरी करने गए नहीं थे। फिर यह मीडिया वाले और शहर वाले हमें प्रवासी मजदूर क्यों कह रहे हैं?' बेटे के प्रश्न को सुनकर पिता ने उत्तर दिया- 'यह सब अमीरी और गरीबी का फेर है। जो लोग विदेशों में मजदूरी करने जाते हैं या विदेशों में मौज-मस्ती करने जाते हैं; उन्हें प्रवासी का दर्जा नहीं दिया जाता। हम अपने देश में अपनी मजबूरी के चलते मजदूरी करने आये हैं तो हमें यह सभी प्रवासी मजदूर कह रहे हैं। इनके लिए यह साधारण बात है। परंतु यह सभी भूल गये कि अपनी अमीरी और गरीबी के अंतर को बताने के चक्कर में यह भारत के अस्तित्व को ही मानने से इंकार कर बैठे हैं। यह राज्यों को स्वतंत्र देश की तरह समझ बैठे हैं और हमें एक राज्य से दूसरे राज्य में काम करने पर प्रवासी मान रहे हैं। यह देश के एकीकरण के खिलाफ लोगों का स्वर है यह सरदार बल्लभ भाई पटेल की विचारधारा के खिलाफ सोच है। कुछ जानबूझ कर ऐसा कर रहे हैं; कुछ अनजाने में। परंतु यह बात पक्की है, इन्हें देश से कोई लेना-देना नहीं। इन्हें अपने अमीर होने और अपने टीआरपी से ही लेना देना है। यह चंद कागजों के नोटों में बिकने वाले लोग हैं।' प्रदीप अपने पिता की बातें बड़े गौर से सुन रहा था; मानो कोई देश का बुजुर्ग देश की बदहाली पर अपना दुख व्यक्त कर रहा हो। उसने अपने पिता की आंखों में यह दर्द भी देखा और भारत के प्रति लगाव भी।


 


लेखक परिचय-


उमा कान्त "प्राज्ञहंस"
●शिक्षा- परास्नातक, नेट एवं एम0फिल0, पी0एच0डी0(कार्यरत)


●कार्यक्षत्र- सहायक आचार्य, स्वामी केशवानन्द महाविद्यालय, लक्ष्मणगढ़, अलवर (राजस्थान) भारत 


●संपादक व प्रकाशक- 'प्राज्ञ साहित्य' (अंतरराष्ट्रीय संदर्भित त्रैमासिक हिंदी शोध एवं प्रचार पत्र)


●प्रकाशक- 'प्राज्ञ साहित्य' (प्रकाशन)


●अध्यक्ष- परम भूप मणि वन्य विकास संगठन 


●पूर्व संचालक- अभिमन्यु दल (स्काउट)


ग्यारह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों/संगोष्ठियों व आठ राष्ट्रीय सम्मेलनों/संगोष्ठियों में पत्रवाचन। 


●रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला, तेजपुर, असम (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा आयोजित एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला के मुख्य वक्ता एवं एकल संचालक के रूप में वैज्ञानिकों, अधिकारियों, सीनियर रिसर्च फैलोशिप एवं जूनियर रिसर्च फैलोशिप के समक्ष एकल संचालन।


विभिन्न सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान हेतु  डब्ल्यूएचओ-यूनिसेफ, विश्व बैंक, डीआरडीओ, गूगल सहित अनेकों संस्थाओं द्वारा सम्मान व प्रमाण पत्र।


●रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन। 


●उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना। 


 


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