बुद्ध महिमा (छन्द काव्य) - आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी "चंचल"

बुद्ध महिमा (बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष)



 आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी "चंचल" सुलतानपुर (उ.प्र.) भारत 


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खास पुरुषोत्तम मास पूनम कै चाँद रात, अनुपम अलौकिक इक राजकुँवर आयो है ।।


धनि भयी कोख रानी धनि धरा धामु आजु, आनन्द बधाई नीक राजमहल छायो है ।।


मिला नेग नेगहारी धन दौलत पाये खूब, पुरोहित वेद मन्त्र अरु वेदगान गायो है ।।


भाखै कवि चंचल मुहूरत ऊ घडी़ शुभ,ग्यान परचार परसार पूत आयो है ।।1।।       


 


काढि़ पत्रिका पुरोहित गनक बतायो अस, राजन लिखत बालक महान यश पायेगा ।।


ख्याति होये मात पित यश देश भारत कै, लागत ई बालक युगपुरूष कहायेगा ।।


घडी़ मंगल मंगल मुहूरत राजाधिराज, अइसो नीक राजकुवर दूजो नहि आयेगा ।।


भाखै कवि चंचल बतायो गनक नीके मुल, सोचैं राजा रानी कौन राज को चलायेगा ।।2 ।।                                


सारी सुख सुविधान महल सजायो मुल, लेख विधिना कै होनी कोन टारि पायो है ।।


सुख सुविधान सारी दारा पुत्र सोवत छाँडि़, ग्यान पथ मानव जौन सुयश कमायो है ।।


भाखै कवि चंचल होवै होय होनहार जौन, खरे खरे जोग तप ध्यान जो लगायो है ।।


आयो दिन एक जब पायो ऊ अलौकिक ग्यान, धरनी विशालु जग बौद्ध जो फैलायो है ।।3 ।।


 


विश्व केरे बचा नहीं रहा कौनो शेष जौन, विस्तार धर्म बोद्ध धरनी ना पायो है ।।


ध्वज लहरानी फहरानी ईसु पावन धर्म, कतने तो राजा महराजा ग्यान लायो है ।।


सम्यक ग्यान सम्यक दृष्टि सम्यक संकल्प धरि,सम्यक नाजीव वध जतन बतायो है ।।


भाखै कवि चंचल कछू जन औतार मानि, माता पिता गाँव नगर यशु फहरायो है ।।4 ।।


 


कवि परिचय-


रमेश कुमार द्विवेदी "चंचल" (आशुकवि)


कार्यक्षेत्र- कृषि 


 


 


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