चँदा मामा
अनुरंजन कुमार "अंचल", अररिया (बिहार) भारत
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चँदा मामा - चँदा मामा आओ ना
मुझे खिलाने गोल जलेबी लाओ ना।
रोज सवेरे कहां छुप जाते हैं मामा
पूरब से पश्चिम घूम जाते हैं मामा।
चँदा मामा , मम्मी के यहां ठहरो ना
घूम घूम कर के गिल्ली डंडा खेलो ना।
नीले आकाश में तेरे प्यारे रूप हैं
यहां आस-पास में गर्मी और धूप हैं।
मुन्ना देखों ना चँदा मामा आते हैं
छिप के देखों ना मम्मी मामा खाते हैं।
मामा जी भांजे से मिलने आओ ना
मुझे चौक - बाज़ार घुमाने आओ ना।
कवि परिचय-
अनुरंजन कुमार "अंचल"
कवि /शायर
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