ईद मुबारक (कविता) - डॉ अवधेश कुमार अवध

ईद मुबारक



डॉ अवधेश कुमार अवध, मेघालय 


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चाँद उतरता हो जिस आँगन, उसको ईद मनाने दे ।
अपनी किस्मत में बस रोजा, रोजा रोज निभाने दे ।
कब तक देख भरी माँगों को, अपना माथा फोडेंगे -
चाँद अड़ा है अपनी जिद पर, हमको भी अड़ जाने दे ।।


 


चाँद   देखकर  ईद   मुबारक
तुम भी बोलो  मैं  भी    बोलूँ।


वर्षों  तक  उपवास   रखा  था,
मधुर मिलन की आस रखा था,
अन्तहीन  निष्ठुर   पतझर में-
कैसे     कहो    विरह में  डोलूँ?
चाँद देखकर......................।


कुछ  के  हिस्से  पावस आया,
मधु  बसन्त  कुछ को हरषाया,
ऐसा    सिर    मुड़वाया    मैनें-
ओले    में   कैसे   पट   खोलूँ?
चाँद देखकर....................।


चाँद  सभी  के छत पर उतरा,
मेरे    घर    अँधियारा   पसरा,
तुम  बिनु   मेरी  ईद    अधूरी-
छुपकर  तनहाई   में   रो  लूँ ?
चाँद देखकर....................।


 


कवि परिचय-


डॉ अवधेश कुमार अवध
पिता का नाम- स्व. शिवकुमार सिंह
जन्मतिथि- 15/01/1974
शिक्षा- परास्नातक एवं प्रशिक्षित स्नातक
कार्य क्षेत्र - अभियंता
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
सम्मान-
1) विद्यावाचस्पति (मानद डॉक्टरेट 2018)
2) शतकवीर सम्मान (मगसम 2019)
3) खरैतीलाल सम्मान (सृजन सरिता 2018)
4) सर्व हिन्दुस्तानी परिषद असम (2019)
5) सोसल मीडिया द्वारा दर्जनों अनमोल सम्मान
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


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