किशोरी (कविता) - संगीता राजपूत ' श्यामा '

किशोरी



संगीता राजपूत 'श्यामा', कानपुर ( उ.प्र.) भारत


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उम्र का सोलहवां साल 
ख्वाबों ने फैलाया  मायाजाल 


बंधनों को तोङने का आक्रोश 
हर क्षण कुछ नया करने का जोश 


अंजान प्रेमी की  बातो मे, खुद को उलझाना 
खुली जुल्फो  पर अपनी, खुद ही इतराना 


और कभी बिन बात ही चुपके से शरमाना 
माँ की लिपस्टिक चुपके से होठो पर लगाना 


किताबो के पन्नो पर , गुलाब की पंखुडियां सुखाना 
छज्जे पर इशारों से , सहेली को बुलाना 


रेशमी दुपट्टा ओढ ' श्यामा ' का खुद पर इठलाना 
दादी का काजल चुरा, अपनी आखों पर लगाना 


उम्र का सोलहवां साल 
ख्वाबों ने फैलाया मायाजाल


 


परिचय-


संगीता राजपूत श्यामा 
संप्रति- लेखिका
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


 


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