माँ (कविता) - केशव चन्द्र शुक्ल

माँ



केशव चन्द्र शुक्ल, गोरखपुर (उ.प्र.) भारत 


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माँ
स्वर -व्यंजन 
और
अनुस्वार
तीनों का
सम्मिलित रूप है।


माँ
वर्ण और वर्णमाला
भी है।


माँ
शब्द है
किन्तु पुकारते ही
बन जाती है वाक्य।


माँ
एक कविता है 
कहानी और
उपन्यास भी ।


माँ
पहाड़ है
झरना और
नदी 
और उसकी 
धारा भी।


माँ 
सृष्टि है
प्रकृति और
जगत 
और उसका 
कारण भी।



माँ
टिप्पणी है
संपादकीय - संपादक 
और प्रकाशक भी।


माँ
जनता है
देश और देश का
संविधान भी।


माँ
कालजयी 
सर्वाधिकार 
सुरक्षित
सर्वोत्कृष्ट कृति है



 माँ
तुझे
बारंबार
प्रणाम  है।


 


कवि परिचय-


केशव चन्द्र शुक्ल
कार्य क्षेत्र - कवि, लेखक एवं उद्बोधक
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


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