मां की ममता
कमलकिशोर ताम्रकार" काश", गरियाबंद (छत्तीसगढ़) भारत
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मैने देखा गौर से, जब भी उसकी ओर।
ममता से भरी नजर,देखती मेरी ओर।।मैने......
कर भाग्य से समझौता, गांव बना परिवार।
सुनी गोद लिए बाटती, ममत्व चारो ओर।।ममता....
न कोई रक्त संबंधी, न कोई है रिस्तेदार।
बांध रखे सबको,अपनी ममता की डोर।।ममता.....
चना, चाकलेट, खिलौना,बाटती हर रोज।
कहानी सुनते बच्चे, घेरे रहते चारो ओर।।ममता......
उनकी दवा करती असर,जैसा भी बिमार।
हाल पूछती सबकी,रहती है अंतिम छोर।।ममता....
लोगों की परेशानी, हल करने की ठानी।
चुटकी मे करती दूर,होने से पहले भोर ।।ममता....
उनके बिना उत्सव, न होती कोई त्योहार।
हर आंगन झुमती,मानो वन मे नाचे म़ोर ।।ममता....
ममता मूरत देवी सूरत,स्नेह का भण्डार।
दुआ लम्बी उम्र की, करते सब हाथ जोर।।ममता.....
उम्र बिते सेवा मे,समाज के चारो ओर ।
मैने देखा गौर से ,जब भी उसकी ओर ।।ममता.....
कवि परिचय-
कमलकिशोर ताम्रकार" काश"
कार्य क्षेत्र - लेखक एवं कवि
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
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