मूत्र संस्थान के गंभीर रोग तथा महान आयुर्वेद विशेषज्ञ वागभट्ट द्वारा रचित अष्टांगहृदयम् पर आधारित चिकित्सा
राजीव दीक्षित, वर्धा (महाराष्ट्र) भारत
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(क) मधुमेह (डायबिटीज)
आजकल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी होती है। इसका मतलब है वह व्यक्ति दिन भर में जितनी भी मीठी चीजें खाता है (चीनी, मिठाई,शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार से नहीं पचती अर्थात उस व्यक्ति का अग्नाशय उचित मात्रा में उन चीजों से इन्सलिन नहीं बना पाता इसलिये वह चीनी तत्व मूत्र के साथ सीधा निकलता है। इसे पेशाब में शुगर आना भी कहते हैं। जिन लोगों को अधिक चिंता, मोह, लालच, तनाव रहते हैं। उन लोगों को मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सूखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं।
1- जामुन मधुमेह के रोगी के लिये सर्वोत्तम दवाई है। सीधे जामुन खाना लाभदायक तो है ही, लेकिन जामुन की गुठली का चूर्ण ताजे पानी के साथ दिन में 2-3 बार लेने पर मधुमेह में बहुत लाभकारी होता है। इसके साथ जामुन के हरे पत्तों की चटनी बनाकर 1 ग्लास पानी में प्रतिदिन पीने से लाभ होता है।
2- टमाटर का सूप या कच्चे टमाटर का रस मधुमेह में लाभकारी होता है।
3- पान के साथ चार रत्ती बंग भस्म लेने से मधुमेह दूर होता जाता है।
4- प्रातःकाल 20 ग्राम गिलोय का रस बराबर मात्रा में शहद के साथ मिलाकर लेने से बीमारी में लाभ मिलता है।
5- प्रतिदिन रात्रि विश्राम से पहले शहद के साथ त्रिफला चूर्ण लेने से लाभ होता है।
6- जौ और चने को बराबर मात्रा में लेकर आटा बनाकर नियमित रूपसे उसकी रोटी बनाकर खाने से मधुमेह में लाभ होता है।
7- आँवले का काढ़ा बनाकर और उसमें हल्दी एवं शहद मिलाकर पीने से मधुमेह की बीमारी में आराम मिलता है।
8- नागोरी+असगंध विधरा इन तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लें और प्रतिदिन मिश्री मिले हुये गाय के दूध के साथ सेवन करने से मधुमेह का रोग खत्म होता जाता है।
9- प्रतिदिन आधा कप मैथी का रस पीने से मधुमेह का रोग ठीक होता है, उसके साथ-साथ हरी मैथी की सब्जी तथा मैथी के हरे बीजों की सब्जी दोनों ही इस रोग के लिये रामबाण औषधियाँ हैं।
10- खाने में नियमित रूप से मुली का सेवन करें अथवा मूली, गाजर और पालक तीनों का रस निकाल कर उसमें थोड़ा नमक और जीरा डालकर प्रतिदिन पीने से आराम मिलेगा।
11- प्रातःकाल खाली पेट ताजे और कोमल बेल पन्नों का रस निकालकर दो-तीन चम्मच पीने से रोग में काफी आराम मिलता है।
12- प्रातःकाल खाली पेट करेले का रस और बेल की पत्तियों का रस मिलाकर उसमें चुटकी भर काली मिर्च और भुना हुआ जीरा और 2-3 चम्मच शहद मिलाकर शरबत जैसा पीने पर आराम मिलता है।
13- 100 ग्राम बरगद (बड) के पेड़ की छाल 2 लीटर पानी में पकायें और जब पानी 1/4 रह जाये तब ठंडा करके छानकर रोगी को पिलायें, रोग में तत्काल आराम मिलेगा।
14- जामुन की गुठली का चूर्ण+सौंठ-गुड़मार बुटी इन तीनों को बराबर मात्रा में पीसकर कपडे से छान लें फिर ग्वारपाठे के रस में चटनी जैसा बनाकर शहद के साथ चाटें।
15- सुबह-सुबह खाली पेट 10-12 कोमल नीम की पत्तियाँ चबायें।
16- पिसी हुई हल्दी शहद में मिलाकर चाटने से इस रोग में आराम मिलता है।
17- कच्चे केले की सब्जी खाने से मधुमेह दूर होता है।
18- त्रिफला चूर्ण में मैथी के दानों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाये व प्रतिदिन प्रातःकाल 2 चम्मच चूर्ण गुनगुने जल के साथ सेवन करें।
19- गिलोय+आँवला तथा गोखरू तीनों बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बनायें और इसमें से 2-2 चम्मच चूर्ण प्रतिदिन 3 बार शहद के साथ सेवन करें।
20- करेले के पत्तों का रस प्रतिदिन लेने से मधुमेह में आराम मिलता है।
21- कच्चा टमाटर और टमाटर की चटनी मधुमेह के रोगियों के लिये, काफी लाभदायक है। टमाटर की खटाई शर्करा की मात्रा को घटाती है।
(ख) बहुमुत्र-(बार-बार पेशाब आना)
बहुमूत्र रोग में बार-बार पेशाब आती है और थोड़ी-थोड़ी पेशाब आती है। बार-बार पेशाब जाने का मन करता है। यह रोग बच्चों तथा युवाओं को अधिक होता है और अधिकांशतः अनुवांशिक है। इस रोग में कब्ज, अपच, अधिक मूत्र आना, और नींद न आना इस तरह की शिकायतें रहती हैं। रोगी प्रतिदिन कमजोर होता जाता है कमर और कमर के नीचे के हिस्सों में दर्द रहता है।
इसके घरेलू उपाय निम्न लिखित हैं।
1- आँवले का सूखा चूर्ण या आँवले का रस गुड़ के साथ मिलाकर लेने से बीमारी में लाभ होता है।
2- 20 ग्राम काले तिल और 10 ग्राम अजवायन को मिलाकर पाउडर बना लें फिर इस पाउडर को 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम 1-1 चम्मच सेवन करें।
3- रीढे की गुठली का चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम ताजे पानी से लेने पर बीमारी में लाभ मिलता है।
4- टेसू के फुल दालचीनी कलमी शोरा+काले तिल राई-सभी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और प्रतिदिन सुबह-शाम शहद के साथ मिलाकर चाटें।
5- प्रातःकाल खाली पेट अदरक का रस 1 चम्मच लेने से बहुमूत्र की शिकायत दूर होती है।
6- बहेडा और जामुन की गुठली दोनों को बराबर मात्रा में पीस लें और प्रतिदिन 1 चम्मच सादा पानी के साथ लें। .
7- रात्रि विश्राम से पहले गाय के दुध में पकाये हुये 4 छुआरे खाने से बहुमूत्र के रोग में आराम मिलता है।
8- 10 ग्राम खसखस के दाने और 10 ग्राम गुड़-दोनों को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-दोपहर शाम सेवन करें।
9- पिस्ता, मुनक्का और काली मिर्च बराबर मात्रा में (6 दाने पिस्ता, 6 दाने मुनक्का, 6 काजु) सुबह-शाम चबाकर खाने से बहुमूत्र की बीमारी में लाभ होता है।
10- मुलहठी, काली मिर्च और मिश्री तीनों को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें तथा प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच चूर्ण घी में पेस्ट बनाकर चाटें।
(ग) मूत्राशय प्रदाह (जलन)
इस रोग में मुत्राशय में दर्द होता है। और बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है और पेशाब करते समय मुत्राशय में जलन और दर्द रहता है कष्ट के साथ पेशाब आती है।
इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।
1- प्रतिदिन गाजर का रस पीने से जलन में आराम मिलता है।
2- चौलाई के पत्तों का सूप हींग जीरा मिलाकर पीने से दर्द में कमी आती है।
3- चावल के मांड में मिश्री मिलाकर पीने से बीमारी में लाभ होता है।
4- 5-6 ताजे आँवले का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीयें।
5- त्रिफला चूर्ण का काढ़ा गुड़ मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
6- लौकी तथा तोरई उबालकर जौ की रोटी के साथ खाने पर आराम मिलताहै।
7- दो प्याज की गांठ को बारीक काटकर 1 ग्लास पानी में उबालें। पानी आधा रहने पर छानकर पीयें।
8- अनार के छिलके का पाउडर बनायें। ताजे पानी से 1 चम्मच दो-तीन बार प्रतिदिन सेवन करें।
9- आधा किलो मूली के पत्तों का रस निकालकर उसमें 3 चम्मच कलमी शोरा मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में आराम मिलेगा।
10- ककड़ी को बारीक काटकर और उसमें मिश्री मिलाकर सलाद के रूप में खाने से पेशाब का रोग खत्म होता है।
11- पोस्ता दाना सुखा आँवला+हल्दी तीनों बराबर मात्रा (10 ग्राम) में लेकर पाउडर बनायें फिर इसे आधा किलो पानी में भिगो दें। सुबह वह पानी छानकर पीयें रोग ठीक होगा।
12- धनिया+सुखा आँवला-सफेद चंदन मिश्री 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर पानी में भिगों दे प्रातःकाल खाली पेट वह पानी छानकर पीलें।
13- 4 चम्मच मुली का रस जरा सा सेंधा नमक डालकर पीयें।
(घ) गुर्दे की पथरी
जिन लोगों के मूत्र में कैल्शियम अधिक मात्रा में बनता है उनको पथरी जल्दी होती है। यह भिन्न-भिन्न प्रकार के छोटे-छोटे क्षारीय तत्व होते हैं। जो किन्हीं कारणों से मूत्राशय तथा मूत्रनली से नहीं निकल पाते और धीरे-धीरे एकत्र होकर पथरी का रूप ले लेते हैं। पथरी होने के बाद जब व्यक्ति मूत्र त्याग करता है तब उसे दर्द का अनुभव होता है। ऐसे में मूत्र धीरे-धीरे और रूककर बाहर आता है।
इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं।
1- चौलाई अथवा बथुआ के साग को अच्छी तरह धोकर पानी में उबालें और यह उबला हुआ पानी कपड़े से छान लें तथा इसमें कालिमिर्च, जीरा तथा जरा सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में कई बार पियें कछ ही सप्ताह में लाभ अवश्य मिलेगा।
2- चुकंदर को बारीक टुकड़ों में काटकर पानी में उबालें और वह पानी हल्का गुनगुना होने के बाद पीयेंतथा भोजन के साथ खीरा अवश्य खायें।
3- सफेद प्याज को कूटकर कपड़े से उसका रस निकालें। सुबह खाली पेट पीयें। इससे पथरी जल्दी टूट टूटकर खत्म हो जायेगी।
4- जीरे के पाउडर को शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
5- प्रातःकाल खाली पेट कच्ची गाजर चबा-चबाकर खाने से पथरी में काफी आराम मिलता है।
6- सूखे आंवले का पाउडर बनायें और प्रातःकाल खाली पेट मूली पर लगाकर चबाचबाकर खायें।
7- अखरोट के छिलकों सहित पाउडर बना लें। 1-1 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम ठंडे पानी से लें।
8- इलायची+शिलाजीत+पीपल तीनों बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें और इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर 1-1चम्मच चूर्ण सुबह-शाम सादे पानी के साथ लें।
9- गाजर+चुकंदर+ककड़ी+खीरा इन सभी का 1/4गिलास रस मिलाकर और उसमें हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन पीयें।
10- 1 तोला मेहंदी के हरे पत्तों को ढेड़ लि. पानी में उबालें जब पानी एक चौथाई रह जाये तब छानकर पीयें।
11- मूली के बीजों का चूर्ण 1 चम्मच शहद में मिलाकर चाटें।
12- दो चम्मच करेले के रस में सेंधा नमक और जरा सा शहद मिलाकर चाटें।
13- केले का तने का रस पथरी, कान दर्द और अधिक पेशाब को नियंत्रित करता है।
(सादर आभार : प्रदीप दीक्षित एवं स्वदेशी भारत पीठ्म (ट्रस्ट) सेवाग्राम रोड, हुत्तामा स्मारक के पास सेवाग्राम, वर्धा - 442 102)
परिचय-
राजीव दीक्षित
संस्थापक- स्वदेशी भारत पीठ्म (ट्रस्ट) सेवाग्राम, वर्धा - 442 102
उद्देश्य- भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना
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