मोटापा घटाने में मिर्च सेवन की उपयोगिता
डॉ. मुकेश कुमार मेघवंशी, तेजपुर (असम) भारत
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वर्तमान में मोटापा एक वैश्विक मानव स्वास्थ्य समस्या है जो कि न केवल विकसित बल्कि विकासशील देशों में भी जटिल रूप धारण किए हुए हैं क्योंकि मोटापे के साथ कई अन्य बीमारियाँँ जैसे कि हृदयरोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप इत्यादि भी प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जुड़ी हुई हैंं। अतः इस पर ध्यान देना आवश्यक है। अमेरिका एवं यूरोप जैसे विकसित देशों में यह समस्या इस कदर बढ़ गयी है कि इसे जन स्वास्थ्य टाइम बम कहा जाने लगा है। समस्या की गंभीरता को देखते हुए कई दवा कंपनियों ने इस क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया है। एक अनुमान के मुताबिक शारीरिक वजन घटाने संबंधी विभिन्न उपचारों एवं दवाओं का कारोबार 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। इस दिशा में खाद उद्योग भी मोटापा घटाने हेतु प्रभावी उत्पाद तैयार करने के लिए गंभीरता पूर्वक प्रयासरत है।
हाल ही में किए गये शोध के नतीजों से पता चला है कि मिर्च का सेवन मोटापा घटाने में काफी कारगर सिद्ध हो सकता है। खाद वैज्ञानिकों के मुताबिक मिर्च में पाया जाने वाला पदार्थ कैप्सेसिन जो कि इसके तीखेपन के लिए जिम्मेदार होता है, शरीर में काफी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है। इससे शरीर की चर्बी घटाने में मदद मिलती है। एक प्रतिष्ठित शोध पत्रिका 'जर्नल ऑफ़ प्रोटिओम रिसर्च' के जून 2010 अंक में प्रकाशित एक लेख के अनुसार एक प्रयोग में पाँच सप्ताह उम्र वाले कुछ चूहों को पहले अधिक वसा वाला भोजन दिया गया एवं तत्पश्चात उन्हें दो समूहों में बांटा गया। नौ सप्ताह तक एक समूह को 10 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम शारीरिक वजन की दर से केप्सेसिन दिया गया जबकि दूसरे समूह को सिर्फ लवणीय घोल दिया गया। नौ हफ्तों के बाद, केप्सेसिन खाने वाले चूहों के वजन में केप्सेसिन नहीं खाने वाले चूहों के वजन की तुलना में 8 फ़ीसदी कमी दर्ज की गयी। साथ ही आश्चर्यजनक रूप से केप्सेसिन खाने वाले चूहों के बीच बीस मुख्य लिपिड प्रक्रमण प्रोटीनों की अभिव्यक्ति में भी काफी बदला पाया गया। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि केप्सेसिन गिल्सरोल 3- फास्फेट डिहाइड्रोजिनेज मेलेट डिहाइड्रोजिनेज नामक एन्जाइमों को प्रभावी रूप से डाउनरेगुलेट करता है जिससे कि ग्लाइकोलाइटिक क्रिया में कमी आती है और बसा संश्लेषण कम होता है। इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया कि केप्सेसिन एक अन्य महत्त्वपूर्ण एन्जाइम NQ01 को अपरेगुलेट करता है। उल्लेखनीय है कि NQ01 बहुकार्यात्मक एण्टीऑक्सीडेंट एन्जाइम है जो कि कोशिकीय रक्षा हेतु भी कार्य करता है
एक अन्य शोध पत्रिका (जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल एण्ड फूड केमिस्ट्री, 2007) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार केप्सेसिन वसा कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में काफी प्रभावी हो सकता है। इसी प्रकार एक मानव परीक्षण में यह पाया गया है कि केप्सेसिन एवं हरीचाय के सत्व के मिश्रण का सेवन करने से भूख लगने में कमी आती है
रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला, तेजपुर(असम) विगत काफी वर्षों से मिर्च की एक खास किस्म भूत जोलोकिया पर अनुसंधानरत है। मिर्च की इस किस्म में केप्सेसिन की मात्रा अन्य किस्मों की तुलना में काफी अधिक है। अब जबकि शोध द्वारा यह प्रमाणित हो चुका है कि केप्सेसिन की मोटापा घटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, भूत जोलोकिया केप्सेसिन प्राप्त करने का सुलभ एवं उत्तम स्रोत हो सकता है।
यह भी उल्लेखनीय है कि भूत जोलोकिया का सेवन भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लोग काफी अरसे से करते आ रहे हैं अतः आवश्यकता इस बात की भी है कि इस क्षेत्र के लोगों के भोजन स्वभाव की अन्य क्षेत्रों के लोगों से तुलना की जाए एवं इसका मोटापा से संबंध विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़ों से सहसंबंध स्थापित करने का प्रयास किया जाए। साथ ही केप्सेसिन किस प्रकार से शरीर की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करता है जिससे मोटापा घटने में मदद मिल सकती है इस पर भी गहन अनुसंधान करने की आवश्यकता है। ऐसे अनुसंधानों से प्राप्त जानकारियाँ मोटापा कम करने से संबंधित केप्सेसिस उत्पाद तैयार करने में काफी सहायक सिद्ध होंगी।
परिचय-
डॉ. मुकेश कुमार मेघवंशी
कार्य क्षेत्र - वैज्ञानिक सी रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला तेजपुर
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
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