मुक्तक
आनंद मिश्र अकेला, सागर (म.प्र.) भारत
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शक्ति संचित करके रखना
जब अनीति बोलेगी सर चढ़
तब क्या मूक बने बैठोगे
नवल क्रांति के लाने को फिर
बंसुरिया में नव स्वर रखना।
कवि परिचय-
आनंद मिश्र अकेला
कार्य क्षेत्र - सेवानिवृत्त, स्वास्थ्य लैब तकनीशियन, स्वास्थ्य विभाग, राहतगढ़ (सागर) म.प्र.
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
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