राणा वीर प्रताप (कविता) - हिन्दी जुड़वाँ

राणा वीर प्रताप 



हिन्दी जुड़वाँ*,  नई दिल्ली, भारत 


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मेवाड़ी, हल्दीघाटी वीर धरा 
इतिहास समर की है गाथा 
रणजुझ लड़े रणशीश कटे 
न कभी झुका मेवाड़ी माथा ll


वह जैयवंता क्षत्राणी का पूत 
समर प्रताप राणा कहलाता था 
हिंदू रक्षक मातृभूमि रक्षक 
असिधार से इतिहास लिखाता था ll


उस ओजस्वी प्रताप के आगे 
तेज रवि का भी फीका पड़ता था 
जब अस्सी किलो का भाला लिए 
राणा प्रताप रण में उतरता था ll


मान भगवंत टोडर जैसे राजनयिक  
अकबर की संधि से झुका न पाये 
वह वीर समर रण कुशल योद्धा 
उसके नद्द्यासिधार को रुका न पाये ll


राणा का युद्ध केवल युद्ध नहीं
देवप्रिय मातृभूमि का मान था
तभी सेना में रण कौशल अग्रणी 
हकीम खां सूरी जैसा मुसलमान था ll


समर वीर राणा प्रताप के आगे 
रोजाना अकबर षड्यंत्र बुनता था 
मुगलिया दरबार में राणा प्रताप पर 
वह वीर शौर्य के किस्से सुनता था ll


दिल्ली - आगरा दरबार में जब 
दरबारी राणा की चर्चा करते थे 
सुनकर डर जाता था अकबर, जब 
दरबारी ओजस्वी हुंकार भरते थे ll



मातृभूमि की रक्षा में राणा ने
पुत्र को घास की रोटी खिलायी थी 
स्वयं भी भूखा, सेना भी भूखी 
फिर भी शत्रु को मुँह की खिलायी थी ll


नमन वीर  राजपूताने प्रताप को 
जिसने दिल्ली को भी झुका दिया 
मुगलों की रक्त रंजित रणनीति को 
दीन ए इलाही के आगे रुका दिया ll


मुगल अत्याचारी थे व्यभिचारी थे 
लूटपाट कर जीने के अधिकारी थे 
न ममता थी न मोह था न दया थी 
न भाव थे न प्रेम था केवल द्रोह था ll


एक वीर राणा हुआ, राजपूताने का 
वह वीर राणा प्रताप कहलाता था 
उसके शौर्य के आगे दिल्ली राजा 
अकबर स्वयं भी झुक जाता था ll


यह कथा कोई कल्पित नहीं 
न किसी की झूठी जुबानी है 
मेवाड़ी  वीर राणा प्रताप की
रक्त से लिखी सच्ची कहानी है ll


 



 


कवि परिचय-


*हेतराम भार्गव & हरिराम भार्गव

 

हेतराम भार्गव 
शिक्षा - MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार 
हरिराम भार्गव 
शिक्षा - MA हिन्दी, B. ED., NET 8 बार JRF सहित 


माता-पिता - श्रीमती गौरां देवी, श्री कालूराम भार्गव 


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अक़्सर - (यूजीसी लिस्टेड शोध पत्रिका) आजीवन सदस्यता I
अन्य भाषा, गवेषणा, इन्द्रप्रस्थ भारती, मधुमति का नियमित पठन I
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