रोज करते हो तुम बहाना कोई (गज़ल) - डॉ. नसीमा निशा
रोज करते हो तुम बहाना कोई 


डॉ. नसीमा निशा, वाराणसी (उ.प्र.) भारत


*************************************************



गज़ल


ऐसे होता है क्या निभाना कोई 
रोज करते हो तुम बहाना कोई 


बात करते हो हँस के गैरो से
तुमसे सीखे यों दिल दुखाना कोई 


बेवफाई तो तेरी फितरत है 
इक वफा का सबक पढ़ाना कोई 


अपने दिल पे तुम हाथ रखके कहो
मुझ सा होगा तेरा दीवाना कोई 


मुझसे बेहतर जो जानता हो तुझे 
नाम उसका मुझे बताना कोई 


साजिशें जब छतों पे पलती हैं
 छोड़ जाता है आबोदाना कोई 


खुल के कलियाँ जब मुस्कुराएंगी 
ऐसा होगा भी क्या जमाना कोई 


 



परिचय


डा. नसीमा निशा


शिक्षा :  पी.एच.डी (हिन्दी) महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी ( उत्तर प्रदेश) 


सम्मान :


काशी शिरोमणि अलंकरण,


काव्य ऋषि सम्मान,


मुंशी प्रेमचंद सम्मान,


गीत ऋषि सम्मान,


धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज स्मृति सम्मान,


काशी काव्य सौरभ सम्मान,


सन्त समागम स्मृति सम्मान,


सद्भावना स्मृति सम्मान


 


 


हिंदी को समर्पित समस्त प्रकार की खबरों, कार्यक्रमों तथा मिलने वाले सम्मानों की रिपोर्ट/फोटो/वीडियो हमें pragyasahityahindisamachar@gmail.com पर भेजें।


'नि:शुल्क प्राज्ञ कविता प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपनी मौलिक कविताएं हमें pragyasahityahindi@gmail.com पर भेजें।


'नि:शुल्क प्राज्ञ लेख प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपने लेख भेजने हेतु 09027932065 पर संपर्क करें।


प्राज्ञ साहित्य की प्रति डाक से प्राप्त करने व वार्षिक सदस्यता प्राप्त करने के लिये 09027932065 पर संपर्क कर हमारा सहयोग करें।


'प्राज्ञ साहित्य' परिवार का हिस्सा बनने के लिए 09027932065 पर संपर्क करें।