डॉ. नसीमा निशा वाराणसी, (उ.प्र.) भारत
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1. ग़ज़ल
सन्नाटा है अभिनय के बाज़ारों में
रंग भरेगा कौन नये किरदारों में l
तुझको मोतीकी तरह फ़िल्मी दुनिया,
रखेगी अपने मन के उजियारों में
ख़ुश कर देता था अपनी अदाओं से,
रूठ के जा बैठा आसमां के सितारों में l
पाक महीने में जो रुख़सत होता है
वो रहता है जन्नत की बहारों में l
याद रखेगी निशा, दुनिया भी रखेगी
नाम जुड़ गया ख़ुदा के प्यारों में l
2. ग़ज़ल
वक़्त देना दवा दुआ करना,
औरों के लिए भी जिया करना l
इसलिए उसने दी तुम्हें दौलत,
दीन दुखियों को भी दिया करना
जब अंधेरा हो खुद की राहों में,
बन के दीपक खुदी जला करना
बुझ न जाये ये प्यार के शोले,
दिल की भट्टी से भी हवा करना l
जो भी रचता है, वो ही बचता है,
कुछ न कुछ तुम निशा लिखा करना l
परिचय
डा. नसीमा निशा
शिक्षा : पी.एच.डी (हिन्दी) महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी ( उत्तर प्रदेश)
सम्मान :
काशी शिरोमणि अलंकरण,
काव्य ऋषि सम्मान,
मुंशी प्रेमचंद सम्मान,
गीत ऋषि सम्मान,
धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज स्मृति सम्मान,
काशी काव्य सौरभ सम्मान,
सन्त समागम स्मृति सम्मान,
सद्भावना स्मृति सम्मान
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