सरस्वती वंदना
डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, पटना (बिहार) भारत
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माँ शारदे वरदान दे
माँ शारदे....
तेरी वंदना, तेरी अर्चना, तेरी साधना-
मैं कर सकूँ वरदान दे!
चरणों में तेरे रख कलम
करे प्रार्थना मेरा ये मन,
हे शुचि प्रभा ......
तम दूर हो, अघ दूर, जग नूर हो-
मैं सृष्टि- पथ पर चल सकूँ...
निज नेह ज्योति विहान दे...
कर्तव्य- पथ पर रह अडिग
नव- राग छेड़ूँ, गूँजे दिक्
हंसासना, कलाधिश्वरी....
मुझे गीत दे, संगीत दे, नव रीत दे.....
मैं छेड़ूँ सप्तम स्वर मधुर,
स्वर की मुझे पहचान दे....
माँ शारदे......
मानस में ज्ञान आलोक कर
वाणी में बस तू बन के स्वर,
कमलासना, स्वराधिश्वरी......
मेरे मन कमल, तुम हो अचल
मुझे कर सफल,
मैं काव्य अनुपम रच सकूँ, मुझे ज्ञान दे......
माँ शारदे....
जग देखे मुझको हो चकित,
करूँ सर्जना मानव के हित,
वरानने, शुभ दायिनी......
मुझे धैर्य दे, चातुर्य दे, माधुर्य दे-
नित प्रेममय हो मम हृदय
सम-सहिष्णुता का दान दे.....!
माँ शारदे.....
मेरी लेखन स्वतंत्र हो
अन्याय भेदक यंत्र हो
शुभ्राम्बरा, शुचिमानसी
लक्ष्य हो प्रशस्त, बन जाये शस्त्र,
अघ हो निरस्त्र,
मेरी लेखनि में नव - शक्ति का आह्वान दे........
माँ शारदे........ वरदान दे....
परिचय-
डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव
शिक्षा- शिक्षा - एम. ए., पीएच. डी
कार्यक्षेत्र - शिक्षण एवं पत्रकारिता ("प्रजातंत्र के स्तंभ "राष्ट्रीय पत्रिका पूर्व चम्पारण प्रभारी, नये पल्लव त्रैमासिक पत्रिका का पूर्व बेतिया प्रभारी, राष्ट्रीय पत्रिका " साहित्य एक्सप्रेस की पटना प्रभारी, एवं राष्ट्रीय पत्रिका आदित्य संस्कृति की पटना प्रभारी, पृष्ठ संपादिका, एवं संपादन सलाहकार
सम्मान-
"मुट्ठी में बंद धूप" काव्य पुस्तक के लिए "नेपाल- भारत साहित्य सेतू सम्मान" (अन्तर्राष्ट्रीय )
"मुट्ठी में बंद धूप" काव्य पुस्तक पर " राष्ट्र गौरव सम्मान (राष्ट्रीय)
विलक्षणा समाज सारथी सम्मान(राष्ट्रीय)
"नये पल्लव गौरव सम्मान"
"प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान" (राष्ट्रीय)
"काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान"
"प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान"
" बज़्म - ए- बनारसी मरकज़-ए-रंग-ए-हुनर " सम्मान
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
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