यह कैसा मजदूर दिवस है (कविता)

यह कैसा मजदूर दिवस है 



उमा कान्त "प्राज्ञहंस", कासगंज (उ0प्र0) भारत 


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यह कैसा मजदूर दिवस है। 


न कोई होटल, न कोई खाना
न ही खास टिप, न ही छुट्टी पाना
न कोई सिनेमा, न कोई सैर घूमना
न ही छोटुआ के कपड़े बन पाना।।
यह कैसा मजदूर दिवस है।।


ऊंची अट्टालिकाओं में लेटे रहना
पर मजदूर दिवस पर कविता लिख देना
जिसका हक है उसको ठेंगा दिखाना
और खुद कविता पर सम्मान पाना।
यह कैसा मजदूर दिवस है।


साल भर बेवजह बेइज्जत करना 
और मजदूर दिवस का ढोंग रचाना
उस दिन भी मजदूरी भरपूर कराना
मजदूरों को मजदूर दिवस भी नहीं बताना।
यह कैसा मजदूर दिवस है।।


मालिक बनकर रौब जमाना
अधिकारी बन उनके हक न दिलाना
सामाजिक बन उनके हकों को खाना
मजदूर दिवस पर उनको झुनझुना भी न थमाना ।
यह कैसा मजदूर दिवस है।।


 


कवि परिचय-


उमा कान्त "प्राज्ञहंस"
●शिक्षा- परास्नातक, नेट एवं एम0फिल0, पी0एच0डी0(कार्यरत)


●कार्यक्षत्र- सहायक आचार्य, स्वामी केशवानन्द महाविद्यालय, लक्ष्मणगढ़, अलवर (राजस्थान) भारत 


●संपादक व प्रकाशक- 'प्राज्ञ साहित्य' (अंतरराष्ट्रीय संदर्भित त्रैमासिक हिंदी शोध एवं प्रचार पत्र)


●प्रकाशक- 'प्राज्ञ साहित्य' (प्रकाशन)


●अध्यक्ष- परम भूप मणि वन्य विकास संगठन 


●पूर्व संचालक- अभिमन्यु दल (स्काउट)


ग्यारह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों/संगोष्ठियों व आठ राष्ट्रीय सम्मेलनों/संगोष्ठियों में पत्रवाचन। 


●रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला, तेजपुर, असम (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा आयोजित एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला के मुख्य वक्ता एवं एकल संचालक के रूप में वैज्ञानिकों, अधिकारियों, सीनियर रिसर्च फैलोशिप एवं जूनियर रिसर्च फैलोशिप के समक्ष एकल संचालन।


विभिन्न सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान हेतु  डब्ल्यूएचओ-यूनिसेफ, विश्व बैंक, डीआरडीओ, गूगल सहित अनेकों संस्थाओं द्वारा सम्मान व प्रमाण पत्र।


●रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन। 


●उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना। 


 


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