आम और आदमी
डॉ सुनील कुमार मानस, जूनागढ़ (गुजरात) भारत
*************************************************
एक आम था
और एक आदमी।
आदमी ने आम को देखा
और आम ने आदमी को।
आदमी कुछ बकबकाया
आम कुछ शकबकाया
थोड़ी देर बाद
आम साफ था
आदमी पाक साफ था
कुछ छिलके थे
और एक गुठली।
और अंत में
वह भी गायब था।
केवल अब
आदमी आदमी था।
कवि परिचय-
डॉ सुनील कुमार मानस
शिक्षा- परास्नातक, जे0आर0एफ0नेट एवं पीएच0डी0
व्यवसाय- सहायक आचार्य, बहाउद्दीन आर्ट्स कॉलेज, जूनागढ़ (गुजरात)
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व आलोचन दृष्टि पत्र का संपादन
● हिंदी को समर्पित समस्त प्रकार की खबरों, कार्यक्रमों तथा मिलने वाले सम्मानों की रिपोर्ट/फोटो/वीडियो हमें pragyasahityahindisamachar@gmail.com अथवा व्हाट्सएप नंबर 09027932065 पर भेजें।
● 'नि:शुल्क प्राज्ञ कविता प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपनी मौलिक कविताएं हमें pragyasahityahindi@gmail.com अथवा व्हाट्सएप नंबर 09027932065 पर भेजें।
● 'नि:शुल्क प्राज्ञ लेख प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपने लेख भेजने हेतु 09027932065 पर संपर्क करें।
● प्राज्ञ साहित्य की प्रति डाक से प्राप्त करने व वार्षिक सदस्यता प्राप्त करने के लिये 09027932065 पर संपर्क कर हमारा सहयोग करें।
● 'प्राज्ञ साहित्य' परिवार का हिस्सा बनने के लिए 09027932065 पर संपर्क करें।