भ्रूण (कविता)

भ्रूण



 


डॉ. अनिता एस. कर्पूर 'अनु', बेंगलूरु (कर्नाटक) भारत


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निश्चिंत सो रही


देखती बुरा सपना


पुकारता भ्रूण उसका,


मत मार मुझे मां


सुन मेरी पुकार


मैं हू तुम्हारे अंदर


मत कर हत्या


आ रही आवाज़


मुझे भेजा है ब्रह्मा ने


रचना हू संसार की


नहीं चलेगा यह संसार


बिन मेरे आने से


कभी तुम भी जन्में


मां की कोख से


वह भी थी नारी


अभिशाप से ग्रस्त


होकर मत जीना


बोझ नहीं बनूंगी मैं


रोशन करुंगी दुनिया


आबाद करुंगी संसार


मत बन स्वार्थी


मत कर अविश्वास,


मैं हूँ तुम्हारी प्यारी


नन्हीं- सी बिटिया


रक्षा कर मेरी


अचानक खुलती आंख


स्वयं को पाती बिस्तर पर


पति कर रहा इंतजार


सुन पति की पुकार,


ठान लिया मां ने,


बचाना है बिटिया,


नहीं होने देंगी हत्या,


नन्हें-नन्हें हाथों से बिटिया,


करेगी स्नेह संसार को


 


परिचय-


डॉ. अनिता एस. कर्पर
जन्मतिथि- 12/08/1973
शिक्षा- परास्नातक एवं डॉक्टरेट की उपाधि
व्यवसाय- बेंगलुरु जैन कॉलेज में सह-प्राध्यापिका
रुचि- संगीत एवं नृत्य
सम्मान-
1) डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान


2) महिला साहित्य सृजन सम्मान


3) साहित्य रत्न सम्मान


4) श्रेष्ठ कवयित्री सम्मान


5) आलोक सम्मान


6)साहित्य शिरोमणी सम्मान 


7)नवल सखी साहित्य सम्मान


8)इन्डिया बेस्टीज अवार्डसोसल 


उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


 


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