चीन तेरी है क्या औकात (कविता) - अशोक कुमार जाखड़ "निस्वार्थी"

चीन तेरी है क्या औकात



अशोक कुमार जाखड़ "निस्वार्थी", झज्जर (हरियाणा) भारत


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पढ़ने सुनने में जो आते
          लद्दाख के आज गर्म हालात
सन बासठ वाला हूँ मैं
         है बतला रहा चीनी करामात -- 0



सन बासठ में भी बना 
           यह घाती, घात लगाया था
भारत महान पड़ोसी की
          बातों में ही धोखा खाया था
भारी भूमि को चीन ने 
          उस यु्द्ध में जो कबजाया था
भारत अपनी चोट करारी
          अभी नहीं भूल ही पाया था
सन सड़सठ में चीन ने फिर
         दोबारा कर दी खुराफात
सन बासठ वाला हूँ मैं
           है बतला रहा चीनी करामत   --1


 दो अफसर शहीद हुये
            हिन्द के सत्तर मरे जवान
नाथू ला दर्रे में हिन्द ने
            शुरु किया ऐसा अभियान
चार सौ चीनी सैनिक मारे
              किया बैकरों को बेजान
इतिहास गवाही देता है
            चीन उठाया जो नुकसान
तीन दिनों में चीन पीटा
           चली लड़ाई थी दिन-रात
सन बासठ वाला हूँ मैं
           है बतला रहा चीनी करामत  --2


सन बासठ कहने वाला
           सड़सठ को क्या गला भूल
हिम्मत तक नहीं हो पाई
         ऐसी भारत ने चटाई थी धूल
नानी याद चीन को आई
        था ऐसा जवाब दिया माकूल
भले ही बात करो कुछ भी
         है चीन उसे नहीं सकता भूल
सड़सठ और सत्रह डोकलाम की
          क्या भूल गये हैं चीनी बात
सन बासठ वाला हूँ मैं
           है बतला रहा चीनी करामत  --3


सन पैंसठ, इकत्तर, कारगिल
         भारत ने युद्ध जीते हैं तीन
जाखड़ अजेय फौज है ये
         सारे जग को हुआ यकीन
हम अम्बर युद्ध लड़ सकते हैं
         तु कान खोलकर सुन ले चीन
नेहरु वाला नहीं है भारत
            मोदी है तो सब मुमकिन
 स्टार वार सक्षम है भारत 
           चीन तेरी है क्या औकात
  सन बासठ वाला हूँ मैं
           है बतला रहा चीनी करामत  --4  


 


कवि परिचय-


अशोक कुमार जाखड़ "निस्वार्थी"


कार्य क्षेत्र - सी आई एस एफ (रिटायर्ड)


उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


 


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