एग्जाम की घड़ी है (कविता) - हर्षवर्धन आर्य

एग्जाम की घड़ी है 



हर्षवर्धन आर्य, दिल्ली, भारत 


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एग्जाम की घड़ी है 
हिम्मत की संग छड़ी है 
रख ढाल हौंसले की 
विजय द्वार फिर खड़ी है ॥ 


बेशक अँधेरी शब है 
डरता क्यों बेसबब  है
तेरे हौंसलों के आगे 
भला ये टिकी ही कब है


छाया घना अंधेरा 
डर ने जमाया डेरा 
साहस से काम लो फिर 
होगा नया सवेरा 


बैठो ना मोड़कर मुँह
पौरुष को छोड़कर यूँ  
गैरों से क्या उम्मीदें  
खुद पर ना भरोसा क्यूँ  


दुश्मन कदम-कदम पर 
बैठा हैं मौत लेकर 
चूकेगा  जो जरा भी 
जाएगा जान देकर 


मिलकर लड़ेंगे ग़र अब 
निश्चित है  जीत कर तब 
पाएँगे भय से मुक्ति 
रह करके अपने घर सब 


करें  स्वस्थ तन को मन को 
कर लें सबल स्वयं को 
अदृश्य शत्रुओं से  
लड़ना अगर हैं हम को  


यह साधना कड़ी  है 
दुनिया को क्या पड़ी है
खुद की तो हर लड़ाई 
लड़नी  स्वयं पड़ी  हैं ॥ 


कैसी अजब घड़ी है
हर दिल में  हड़बड़ी है
लक्ष्य की राह रोके
विपदा अड़ी खड़ी है


एग्जाम की घड़ी है 
हिम्मत की संग छड़ी है 
रख ढाल हौंसले की 
विजय द्वार फिर खड़ी है ॥ 


 



कवि परिचय-



हर्षवर्धन आर्य 

( कवि , चित्रकार , स्वर्णशिल्पी )

* अध्यक्ष - सृजन सेतु :आर्यवर्त शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक न्यास ( पंजी.)

* पूर्व पीठाध्यक्ष : कला एवं संस्कृति, रोटरी मण्डल 3012

* पूर्व अध्यक्ष : रोटरी क्लब , दिल्ली अपटाउन 

* संपादक : समवेत स्वर  (साप्ताहिक रोटरी समाचार पत्र )

* दिन के उजाले में ( कविता संग्रह )

* सपनों में चिड़िया ( कविता संग्रह )

* राजू का रोबोट ( बाल कविताएँ  )

* सच्चे मोती   ( बाल कविताएँ  )

* भारत, हंगरी, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली, ताशकन्द, मॉस्को, मॉरीशस में चित्र कलाकृतियाँ प्रदर्शित । 

* साहित्य अकादेमी, हिन्दी अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद, विश्व हिन्दी साहित्य परिषद,    आकाशवाणी, दूरदर्शन सहित अनेक देशों में आयोजित हिन्दी आयोजनों में काव्य पाठ । 

* 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन -मॉरीशस में '' विश्व, हिन्दी और भारत '' विषयक  वृहद चित्रकृति का निर्माण।* साहित्य अकादेमी, संस्कृति मन्त्रालय, भारत सरकार से '' कला और कविता : परस्पर संवाद '' विषयक       कनिष्ठ अध्येयतावृत्ति प्राप्त। 

उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना। 

 

 


 

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