कोरोना-मुक्तक (काव्य) - डॉ. हरीश कुमार शर्मा

कोरोना-मुक्तक



डॉ. हरीश कुमार शर्मा, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) 


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हमारे गाँव की हमको बहुत याद आती है।


बाल-बच्चों की चिंता मन को अब तो वेध जाती है।


कहो, कैसे बतायें क्या-क्या अपने दिल का सबको हाल,


इन दिनों जाने कैसी-कैसी हम पर बीत जाती है।


 


हृदय होता द्रवित है औ कलेजा मुँह को आता है।


दशा जब देखते मजदूर की मन काँप जाता है।


विवश, लाचार, व्याकुल लौटने को गाँव-घर आकुल,


श्रमिक की दुर्दशा को देख मन यह रो ही जाता है।


 


समय विकराल है माना कि संकट बहुत भारी है।


रोग का भय सभी के दिलो-जाँ पर आज तारी है।


मगर क्या हाथ पर रख हाथ हम रह जायँ यूँ बैठे,


नहीं यह हो नहीं सकता न यह फितरत हमारी है।


 


कठिनतम पंथ पर पर पगचिह्न अपने छोड़ देते हैं।


उमड़ती धार को संकल्प से जो मोड़ देते हैं।


अलग मिट्टी है मेरे देश की जिसका न कोई सानी,


कि जिसके लाड़ले यमराज से भी होड़ लेते हैं।


 


सलामत देश मेरा हो, सलामत विश्व भी यह हो।


कठिन यह आपदा कैसे भी जल्दी से खतम अब हो।


वही खुशहाल दुनिया चाहिए फिर से हमें आगे,


जहाँ रौनक ही रौनक हो, उदासी का न मंजर हो।


 


सदा हम जीतते आए जीत अब भी दिखायेंगे।


समय की इस विपद से शीघ्र ही हम पार पायेंगे।


न रुकना या कि झुकना और थकना हमने सीखा है,


काल के वक्ष पर जयचिह्न अंकित कर दिखायेंगे।


 


जिंदगी जीत जाएगी विजेता हम ही होंगे फिर।


रोग को पस्त करके हम खड़े होंगे उठ करके फिर।


हमारी कामना है, प्रार्थना, सद्भावना है यह-


वही हम हों, वही जग हो, वही उल्लास चहके फिर।


 


देश है मेरा, मुझको चाह है सुंदर बनाने की।


शांति का देवता और प्रेम का मंदिर बनाने की।


ज्ञान गंगा बहे इसमें, ज्योति विश्वास की जागे,


अपरिमित आत्मबल से सुदृढ़ अभ्यंतर बनाने की।


 


भगाना है भगाना है, करोना को भगाना है।


किसी भी हाल में हमको अब इससे पार पाना है।


नहीं कमजोर पड़ना है कि मन मजबूत रखना है,


विजय-आलेख युग के भाल पर लिखकर दिखाना है।


 


भाव का मिटा पायें तो कोई बात बने।


शुभाशा मन में भर पायें तो कोई बात बने।


फूल उपवन में जो मुरझाए जो अभी दिखते है,


वे अगर फिर से खिल पायें तो कोई बात बने।


 


 


कवि परिचय-


डॉ. हरीश कुमार शर्मा
कार्य क्षेत्र - प्रोफेसर- हिन्दी विभाग (पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं भाषा संकायाध्यक्ष), राजीव गांधी विश्वविद्यालय, रोनो हिल्स, दोइमुख (ईटानगर), अरुणाचल प्रदेश,
रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


 


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