कोरोना टवेंटी टवेंटी (कविता) - कृष्ण देव तिवारी

कोरोना टवेंटी टवेंटी



कृष्ण देव तिवारी "कृष्णा" वडोदरा (गुजरात) भारत 


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सेवा देववाणी की भी, करिए महानुभाव, 
अरबी फ़ारसी उर्दू की, न खिचड़ी बनाईए।।     


'कोरोना' महामारी ज्वर, चढ़ा है ऊत्तुंग पर   
रचना संरचना में, मन को लगाइए।।


पैदा चीन  की  बिमारी, वैश्विक महामारी यह, 
मारने को दौड़ रही, मार से बचाइए।। 


चैन नहीं है दिन - रैन, नाथ देखि - देखि
नैन-ज्योति देखि,  गुन-सगुन बताइए।। 


केतिक अवधि बिचरेगी, अभी डाकिनी, 
विष-वाहिनी को, कोई विष तो खिलाइए।।


हे पीतवस्त्र,शक्ति, नीलकंठ चारमुख, 
पूर्ण हुए तीन युग, युगचार न घटाइए।।


धर्मरक्षा  हेतु जन्म लेते हो दयानिधान 
बढ़ रहा अधर्म, मानव-धर्म को बचाइए।।


त्रेता शक्ति-संग, सिंधु पार गयो रघुवीर 
काटे  दसशीश, ए अशीष न दिलाइए।।


कृष्ण, कृष्णा लाजहित पीतवस्त्र द्वापर में 
कोरोनादुःशासन  मामाकंस  को हटाइए।।


डूबता  गयंद नाथ, कुबड़ी को अंग नाथ 
मानव मतिमंद को, अनाथ न बनाइए।।


डॉक्टर चिकित्सक वैद्यराज धर्मराज बनो 
विश्व - वैक्सीन के ही रूप में पधारिए।।


कृष्णा देर हो रही है, कर्मी सफाइयों को 
धवल - वसन,  ख़ाकीवर्दी संभालिए।।


राम राजपाट में तुम, जानकी को भूल गए
समय-चूकि शोक अब सीता का हटाइए।।


कन्हैया, गिरिधारी, मुरारी, ब्रजराज, कृष्ण 
गोपी-गलियों में रासलीला ही रचाइए।। 


शिव कृष्ण विष्णु रूद्र, राम निज धाम भूले 
परशु समेत परशुराम जी ही आइए।।


यदा-यदाहिधर्मस्य खण्ड -खण्ड हो रहा 
सृजाम्यहं सृजाम्यहं सृजाम्यहं कराइए।।


सो रहे बालबंधु ,लाँघ गए दिर्घ सिंधु 
हे जामवंत हनुमंत को जगाइए।।


'कोरोना' कालरूप धरि, कलयुग का कल छीने 
हे विश्वरूप 'कल्कि' रूप को पठाइए।।


 


कवि परिचय-


कृष्ण देव तिवारी "शांडिल्य" "कृष्णा"


कार्य क्षेत्र -असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (नेट .जे आर एफ़ )
श्री सी. एच. भील गवर्नमेंट आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज,
नसवाड़ी, जि.- छोटाउदेपुर,गुजरात !स्टैचू ऑफ़ यूनिन


 


 


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