कुण्डलिया (काव्य) - डॉ0 सुषमा देवी
कुण्डलिया

 


डॉ0 सुषमा देवी, कानपुर (उ.प्र.) भारत


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धन के लालच में सखी, प्रिय ने किया प्रवास।

 

कोरोना ने दुख दिया, चहु दिश किया निवास।

 

चहुँ दिश किया निवास, बढ़ाई सबकी मुश्किल।


कुछ तो भागे पैदल, औ कुछ लेकर सैकल।


नहीं मिल रही छांव, भागते हैं ये सब जन।


भगे लौटकर गांव, कमा ना पाए कुछ धन।


 


परिचय-


डॉ0 सुषमा देवी


शिक्षा- एम.ए. इतिहास व शिक्षाशास्त्र, बीएड ,टी0ई0टी0

 

सम्मान व पुरस्कार-

 

मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा उत्तम काउंसिलिंग के लिए सम्मान पत्र,


नगर विकास राज्य मंत्री द्वारा गणतंत्र दिवस पर सम्मानित।


विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ से विद्या वाचस्पति सम्मान,
भोपाल साहित्योत्सव द्वारा सम्मान,
निशुल्क विद्यादान के लिए डी एम कानपुर द्वारा सम्मानित,
आशा किरण संस्था द्वारासम्मानित,
तरंग साहित्यिक संस्था द्वारा उत्तम काव्यपाठ के लिए सम्मानित,
साहित्य समज्यासाहित्यिक संस्था द्वारा एकल कहानी पाठ के लिए सम्मानित,
ख्वाइश फाउंडेशन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित,
शब्दोत्सव साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित,
युगधारा साहित्यिक संस्था लखनऊ द्वारा सम्मानित,
माध्यम संस्था द्वारा सम्मानित,
आगमन संस्था द्वारा सम्मानित
दानवीर भामाशाह संस्था द्वारा सम्मानित
जौहर ज्वाला में उत्तम काव्य पाठ के लिए सम्मानित,
सुभाजंलिसंस्था द्वारा सम्मानित,
एम एस सेवा समिति द्वारा सम्मानित



उद्देश्य - हिन्दी भाषा का प्रशासकीय स्तर पर प्रथम कार्यालयी भाषा बनाने हेतु प्रचार प्रसार l


 


 


 


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