साज़िश
डॉ. अनिता एस. कर्पूर 'अनु', बेंगलूरु (कर्नाटक) भारत
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साजिशे रचे अनेक
न चैन की नींद
रास्ते में बिछाने कांटे
सोचता रहा हमेशा
कांटे नहीं चुभते शरीर में
चुभते है मन में
चीत्कार उठता है मन
पीडा होने लगी असह्य
विश्वास को भी देकर मात
रचता गया साजिशें इन्सान
गर्म खून है इन्सान का
उगलता है आग शब्दों से
नफरत की ज्वाला फैलाकर
मारता है तलवार वह
पीठ पीछे निकलता है लहू
उसका खत्म हुआ जीगरा भी
कब्र मात्र दिखाई देता उसे
नफरत से हुआ अंधा
रचता कुँआ स्वयं के लिए
रिश्तों के दलदल में
फँसता गया आदमी
हर तरफ गिरती बिजली
दुश्मन के साथ मिलकर
साजिशें करता नहीं थकता
आग जलकर राख बन जाती
सीने में छ न हो जाती है
सबके सामने बयां करते हुए
बहा रहा अश्रु इंसान
कह रहा दिल की बात
मत कर नफरत
मत कर साजिश
परिचय-
डॉ. अनिता एस. कर्पर
जन्मतिथि- 12/08/1973
शिक्षा- परास्नातक एवं डॉक्टरेट की उपाधि
व्यवसाय- बेंगलुरु जैन कॉलेज में सह-प्राध्यापिका
रुचि- संगीत एवं नृत्य
सम्मान-
1) डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान
2) महिला साहित्य सृजन सम्मान
3) साहित्य रत्न सम्मान
4) श्रेष्ठ कवयित्री सम्मान
5) आलोक सम्मान
6)साहित्य शिरोमणी सम्मान
7)नवल सखी साहित्य सम्मान
8)इन्डिया बेस्टीज अवार्डसोसल
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना
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