याद (कविता) - डॉ. राखी वर्मा

याद



डॉ. राखी वर्मा, भीलवाड़ा (राजस्थान) भारत 


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जब तुम्हारी याद आयी
बनकर घटा बरस आयी।


लहर उठी मन के साहिल पर
बनकर तूफ़ान थर्रायी।


मैं भागी गांव के अंतिम छोर तक
फिर भी पीछे चली आयी।


भूख-प्यास सब टंगे खूंटी पर
अश्कों की दुब ऊग आयी।


बंद की आंखे और कान भी
चीर के दिल को चली आयी।


जब तुम्हारी याद आयी
सांसो के सायों पर
हिचकियों की धूप निकल आयी।


 


परिचय-




डॉ. राखी वर्मा
(चित्रकार,मूर्तिकार,लेखक, कवि)


शिक्षा-Bed, M.A., NET, SET, Ph.D
प्रकाशित रचनाएं- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, शोध पत्रों में  लेखन
विभिन्न अखबारों मे चित्र, व लेखन
उद्देश्य- विश्व मे नारी शक्ती को मेरे द्वारा की गई रचनाओं चित्र,लेख एवं कविताओं द्वारा पहचाना जाए ।


 


 



 

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