हद-जद-दुःखद-जद्दोजहद (कविता) - महेन्द्र प्रताप सिंह

हद-जद-दुःखद-जद्दोजहद



महेन्द्र प्रताप सिंह, नई दिल्ली, भारत 


*************************************************


शब्द की छाया सजल है, एक अँधेरी रात है,
अँधेरों की साजिशों में उजालों का भी हाँथ है,


बरबस मानवता खड़ी आर्त स्वर आलाप है,
मौत की खामोशियों में कौन? किसके?साथ है,


प्रकृति का ये न्याय है हर तरफ हाहाकार है, 
 निरंकुश विज्ञान को चेतावनी या तीसरे शिव-नेत्र का उदगार है,


बेजुबान जीवों का शोषण इस विषाणु का उद्भव घना,
जीवहत्या मूलतः इस त्रास का कारण बना,


चेतावनी मानव सभ्यता को करो यह सत्य अंगीकार है,
'जियो और जीने दो' सूत्र ही उपचार है,


खूब हो विकसित तुम सदा फूलो-फलो,
निर्दोष जीवों पर कुछ दया भी करते चलो,


चेतावनी ये प्रकृति माँ की मानव कपूत सन्तान है,
हद तोड़ दी जब दुस्साहसी ने तो मिला दण्डविधान है,


भविष्य में भी जो रहा कायम यही  अत्याचार है,
अवसान होगा मनुजता का रुकेगी   उन्नति की रफ्तार है,


नैनो टेक्नोलॉजी के प्रति ये  अति सूक्ष्म जीव हथियार है,
अनियंत्रित अधिकार का हो रहा उपचार है,


कटेगी ये अँधेरी रात भी आएगी उजली प्रात भी,
उठेगी फिर मनुजता फिर फूले-फलेगी ये दिन-रात भी,


पर हमेशा याद रखना प्राकृतिक न्याय की ये चेतावनी,
निरंकुश होगे तो गिरोगे मौत होगी फिर घनी,


तू है प्यारा सुपुत्र मानव प्रकृति के हर जीव को तू साथ ले ,
अधिकारों का हनन मत कर, न नियंत्रण हाँथ ले,


'ऋषि अथर्वा' के नियमों का तू अध्याय ले ,
प्रकृति के सब जीव खुश हों ,तू भी सदा फूले-फले...!


 


कवि परिचय-


महेन्द्र प्रताप सिंह
शिक्षा- यू जी सी नेट , हिन्दी साहित्य
कार्य क्षेत्र - वरिष्ठ राजभाषाधिकारी, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, मुख्यालय, नई दिल्ली
कवि/लेखक/ अनुवादक/साहित्यकार


उपाध्यक्ष, उदीयमान कवि-कवित्त उत्थान समिति


 


 


 


हिंदी को समर्पित समस्त प्रकार की खबरों, कार्यक्रमों तथा मिलने वाले सम्मानों की रिपोर्ट/फोटो/वीडियो हमें pragyasahityahindisamachar@gmail.com अथवा व्हाट्सएप नंबर 09027932065 पर भेजें।


'नि:शुल्क प्राज्ञ कविता प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपनी मौलिक कविताएं हमें pragyasahityahindi@gmail.com अथवा व्हाट्सएप नंबर 09027932065 पर भेजें।


'नि:शुल्क प्राज्ञ लेख प्रचार योजना' के अंतर्गत आप भी अपने लेख भेजने हेतु 09027932065 पर संपर्क करें।


प्राज्ञ साहित्य की प्रति डाक से प्राप्त करने व वार्षिक सदस्यता प्राप्त करने के लिये 09027932065 पर संपर्क कर हमारा सहयोग करें।


'प्राज्ञ साहित्य' परिवार का हिस्सा बनने के लिए 09027932065 पर संपर्क करें।