मैं अपनी कविता स्वयं हूँ (कविता) - डा० नीलिमा वर्मा

मैं अपनी कविता स्वयं हूँ



डा० नीलिमा वर्मा, मुजफ्फरपुर (बिहार) भारत


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मैं अपनी कविता स्वयं हूँ,
पुरुष वर्चस्व के बीच,
सांस लेती ,
समझौता करती,
घर गृहस्थी सम्भालती,
अहर्निश उस क्षितिज को ,
तलाशती जहाँ --
एक पल की विश्रान्ति,
भरोसेमंद दाम्पत्य का अहसास,
स्वाभिमान से जीने का अधिकार,
मिल सके ।
मैं औरत जाति की पीड़ा का,
गो-मुख हूँ,
मैं अपनी कविता स्वयं हूँ ।।


मैं घर - आंगन की लक्ष्मी हूँ,
कभी छल से,
कभी बल से,
कभी धर्म से,
कभी अंधविश्वास से,
संसार की समस्त गालियां,
मेरे ही तो नाम हैं ।
कहाँ है मेरी मौत में इतनी ताकत?
जो किसी की संवेदना में,
हलचल मचा सके ।
मैं स्त्री जाति की पीड़ा का,
शोक-पत्र हूँ।
मैं अपनी कविता स्वयं हूँ।।


मैं घर की अन्नपूर्णा हूँ,
सुबह से लेकर शाम तक,
शाम से लेकर रात तक,
अपने इन दश अंगुलियों से,
बिखेरती हूँ भोजन में,
स्वाद और ,
तृप्ति की खुशबू ।
मैं प्यार का एवरेस्ट हूँ,
चेरापूंजी की भीनी बारिश हूँ,
कुनबे भर को भोजन परोसने,
के बाद,
शेष जो मेरे थाली में आता है,
स्त्री-जाति का मैं वहीं सच हूँ।
मैं अपनी कविता स्वयं हूँ.....।।


 


परिचय-



डा० नीलिमा वर्मा,


शिक्षा– एम०ए०,पी-एच०डी० (संस्कृत) बिहार विश्व०मुज०।
बी-एड०-लखनऊ विश्व०लखनऊ ।
अवार्ड- विजिटिंग एसोसिएट शिप, यू.जी.सी.नई दिल्ली ।
वर्कशाप--वेद एण्ड कम्प्यूटर, आई.आई.आई.टी.हैदराबाद ।
सम्प्रति-- व्याख्याता एण्ड विभागाध्यक्षा(संस्कृत)एस.एन.एस.कालेज,मुजफ्फरपुर ।



सचिव-राष्ट्रीय महिला काव्य मंच,बिहार प्रदेश इकाई ।
क्षेत्रीय संयोजक-(मानद)
पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, मेघालय ।
सम्मान एवं प्रसस्ति-पत्र
1 सर्वश्रेष्ठ जिला अध्यक्षा राष्ट्रीय महिला काव्य मंच ,मुज.बिहार इकाई ।2019 नई दिल्ली ।
2 शिल्पी चड्ढा स्मृति  सम्मान-2019,नई दिल्ली
3 .स्वरेश्वर राम भजन सम्मान-,कौमुदी काव्य कला मंच मुज.2012,
4 .वासुदेव प्रसाद अग्रवाल साहित्य सम्मान-संरचना आर्ट थियेटर मुज.2014,
5 .मातोश्री कुसुम बाई कायस्थ स्मृति सम्मानादि दर्जनों अनमोल  पुरस्कार एवं सम्मान।

 

 

 

 

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